रतलाम। रतलाम में अब नशे के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली शेड्यूल एक्स और एच वर्ग की दवाइयों के विक्रय पर प्रशासन कड़ी नजर रखने जा रहा है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जारी अभियान के अंतर्गत रतलाम जिले में आयोजित हुई बैठक में प्रशासन ने निर्देश जारी कर शेड्यूल एक्स और एच ड्रग बेचने वाले मेडिकल शॉप पर अनिवार्य रूप से सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने और उसके रिकॉर्डिंग बाल कल्याण आयोग और पुलिस अधिकारियों को उपलब्ध करवानी होगी। इस तरह की दवाइयों का विक्रय करने वाले मेडिकल शॉप का रेंडम निरीक्षण ड्रग इंस्पेक्टर और सीएमएचओ करेंगे। यदि कोई मेडिकल शॉप या व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो जेजे एक्ट 2015 की धारा 77 तथा 78 के तहत एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई की जाएगी।

दरअसल नशे के विरुद्ध के ज्वाइंट एक्शन प्लान तथा ड्रग एवं मादक पदार्थों से बच्चों के बचाव के लिए संयुक्त कार्ययोजना पर संबंधित विभागों की एक बैठक रतलाम जिले में आयोजित की गई जिसमें इस कार्ययोजना के दिशा-निर्देशों से अवगत कराया गया। जिसमें शेड्यूल एच और एक्स के अंतर्गत आने वाली दवाओं का विक्रय करने वाली दवा दुकानों पर अनिवार्य रूप से सीसीटीवी लगाए जाने। बच्चों के स्कूल की 100 मीटर की परिधि में नशीले पदार्थों के विक्रय पर रोक लगाने। बच्चों की नशा मुक्ति और पुनर्वास के लिए शासकीय अस्पतालों में प्रथक से व्यवस्था किए जाने और ड्रग्स और मादक पदार्थों के आदि स्ट्रीट चिल्ड्रन का एनजीओ के सहयोग से मैपिंग करने संबंधित निर्णय लिए गए।

शेड्यूल एच में 536 और एच 1 में 46 दवाएं शामिल है। जिन्हें बिना डॉक्टर के पर्चे के फार्मासिस्ट बेच नहीं सकते हैं। शेड्यूल H दवाओं के लेबल पर ‘Rx’ लिखा होता है और लाल अक्षरो में चेतावनी भी लिखी होती है। इन दवाओं का सेवन नशे के तौर पर भी किया जाता है। वही शेड्यूल X नारकोटिक और साइक्लॉजिकल दवाएं आती है, जो अत्यंत प्रभावी और नशीली भी होती है। ये दवाएं सीधे दिमाग पर प्रभाव करती है, जिसके चलते गलत खुराक व ओवेरडोज़ के कारण यह घातक भी साबित हो सकती है। शेड्यूल X दवाएं खरीदने के लिए डॉक्टर की पर्ची जरूरी है, जिसकी कॉपी विक्रेता को 2 सालों तक संभाल के रखनी होती है।