नई दिल्ली। आज विश्व टीबी दिवस है। दुनियाभर में टीबी के सबसे ज्यादा मरीज भारत में हैं। टीबी यानी क्षय रोग एक संक्रामक बीमारी है जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। फेफड़ों में होने वाली टीबी को पल्मोनरी टीबी कहा जाता है और जब यह शरीर के किसी दूसरे भाग में होती है तो इसे एस्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं। जब क्षय रोग से ग्रसित बोलता, खांसता या छींकता है तब उसके साथ संक्रामक द्रोप्लेट न्यूक्लाई उत्पन्न होते हैं, जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। यह बीमारी हवा के जरिये बहुत आसानी से फैलती है। टीबी का रोग जूठा खाने से, थूकने, छींकने, संक्रमित इंजेक्शन, रोगी दवारा उपयोग किए गए कपड़े, तौलिया इत्यादि से, गंदगी व सफाई न रखने से, शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने से व रोगी के संपर्क में रहने से फैलता है।
टीबी की रोकथाम व नियंत्रण के लिए मुख्य रूप से शिशुओं को बैसिलस कैल्मेट ग्युरिन (बीसीजी) का टीकाकरण कराना चाहिये। सक्रिय मामलों का पता लगने पर उनका इलाज किया जाना चाहिए। इसका इलाज जितना जल्दी शुरू होगा, उतनी जल्दी ही रोग से निदान मिलेगा। टीबी रोग से संक्रमित रोगी को खाँसते समय मुंह पर कपड़ा रखना चाहिए या भीड़-भाड़ वाली जगह पर या बाहर नहीं थूकना चाहिए। साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। ताजे फल, सब्जी और कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, वसायुक्त आहार का सेवन कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। अगर व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है तो इस रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है।