राजस्थान के जलौर में ऐसे कई सरकारी अस्पताल के डॉक्टर हैं जो प्राइवेट अस्पतालों या प्राइवेट क्लीनिक में नियम के विरुद्ध प्रैक्टिस कर रहे हैं। लेकिन सरकारी नियमों के अनुसार कोई भी सरकारी सेवारत डॉक्टर चाहे वह एनपीए प्राप्त करे या ना करे, प्राइवेट अस्पताल या क्लीनिक ना तो संचालित कर सकते हैं और ना ही उनमें प्रैक्टिस कर सकते हैं। बावजूद इसके शहर के राजकीय अस्पतालों में कार्यरत कुछ डॉक्टर निजी अस्पताल या क्लीनिक में सेवाएं दे रहे हैं। इन डॉक्टरों को ना तो राजकीय सेवा नियमों की परवाह है और ना ही विभागीय कार्रवाई का डर।

चिकित्सा विभागीय नियम के अनुसार, एनपीए प्राप्त डॉक्टर राजकीय अस्पतालों के अतिरिक्त कहीं भी मरीजों का इलाज नहीं कर सकता है। एनपीए नहीं प्राप्त करने वाला डॉक्टर अपने घर पर विभाग के द्वारा निर्धारित शुल्क लेकर परार्मश दे सकता है। ये डॉक्टर परामर्श के अलावा ना तो मरीजों को भर्ती कर सकते हैं और ना ही उन्हें ड्रिप इंजेक्शन लगा सकते हैं।

कोई भी राजकीय सेवारत डॉक्टर चाहे वह एनपीए प्राप्त करें या नहीं करे वह किसी भी निजी अस्पताल या निजी क्लीनिक में सेवा नहीं दे सकता है। यदि कोई ऐसा करता है तो ये नियम के विरुद्ध है। इसको लेकर विभागीय सख्ती से कार्रवाही करता है। सीसीए 17 और 16 के नोटिस देकर आगे की कार्रवाही की जाती है। लेकिन इसके बावजूद सरकारी डॉक्टर धड़ल्ले से अपने निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में मरीजों का इलाज कर रहे हैं और खूब पैसे कमा रहे हैं।

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डॉ मुकेश चौधरी मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में शिशु रोग विशेषज्ञ है। वो भौनमाल रोड स्थित अस्पातल में मरीजों को देखते हैं। इस अस्पताल में वो मरीजों को भर्ती भी करते हैं। इस अस्पताल के ऊपर ही वो रहते हैं और नीचे क्लीनिक के नाम पर निजी अस्पताल संचालित किया हुआ है।

डॉ के आर मीणा जिला मुख्याल स्थित अस्पताल में मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में शिशु रोग विशेषज्ञ हैं। लेकिन इसके बावजूद डॉ मीणा एक निजी अस्पताल में मरीजों को देखते हैं। अपनी राजकीय सेवा देने के बाद वो देर शाम मरीजों को देखते हैं।