इंदौर। नमक और ग्लूकोज से बने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने से 50 फीसद संक्रमित फेफड़े 80 फीसद तक संक्रमित हो गए। दामाद का आक्सीजन लेवल भी अचानक नीचे चला गया। बयान देते -देते महिला थाने में ही रोने लगी। टीआइ ने समझाया और कहा आरोपितों को कड़ी सजा मिलेगी।

विजयनगर थाना टीआइ तहजीब काजी के मुताबिक पुलिस आरोपित सुनील मिश्रा ने पुनीत शाह और कौशल वोरा से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की दो खेप ली थी। पहली 700 इंजेक्शन की थी, जिसमें से 500 सिटी अस्पताल, जबलपुर के संचालक को दी। 100 इंजेक्शन आशीष ठाकुर को और 100 प्रशांत पाराशर को। इसके बाद 500 इंजेक्शन और लाकर खुदरा बेच दिए। पुलिस ने सभी इंजेक्शन का हिसाब मिला लिया है।

आरोपित सुनील के उस नंबर की काल डिटेल निकाल ली है, जिससे वह ग्राहकों से संपर्क में था। पुलिस ने गुरुवार को खातेगांव की उस महिला के बयान लिए, जिसने सुनील से सवा लाख रुपये में 8 इंजेक्शन खरीदे थे। महिला ने बताया उसने 4 इंजेक्शन लगवा लिए थे। तब तक दामाद के फेफडों 50 फीसद संक्रमण था। इंजेक्शन लगने के बाद 80 फीसद हो गया। आक्सीजन लेवल भी कम हो गया। इसी तरह पालदा निवासी निखिल ने एक इंजेक्शन जब्त करवाया है। उसने सिनर्जी में भर्ती स्वजन के लिए इंजेक्शन खरीदा था।

कंपनी से जांच करवाएगी पुलिस

पुलिस के मुताबिक पुलिस पीड़ित और डाक्टरों से बयान ले रही है। कुछ डाक्टरों को इंजेक्शन लगाते वक्त ही शक हो गया था। नमक और ग्लूकोज का मिश्रण होने से सुईं में मिश्रण नहीं भरा। पुलिस उस कंपनी से भी रिपोर्ट मांग रही है, जिसके नाम से नकली इंजेक्शन बनाया गया था।