नई दिल्ली। देश में सस्ती टीबी रोधी दवा के निर्माण का रास्ता खुल गया है। इससे बाल रोगयिों को लाभ मिल पाएगा। दरअसल, भारतीय पेटेंट कार्यालय ने जॉनसन एंड जॉनसन (जेएंडजे) के तपेदिक रोधी (टीबी) दवा, बेडाक्विलिन के बाल चिकित्सा संस्करण के आवेदन को अस्वीकार कर दिया है। इससे लागत प्रभावी टीबी उपचार तक पहुंच पर व्यापक प्रभाव पडऩे की संभावना है।
2020 में पेटेंट को दी थी चुनौती
बता दें कि दो बार टीबी से बचे गणेश आचार्य ने अन्य नागरिक समाज समूहों और बचे लोगों के साथ मिलकर एक याचिका दायर की थी। 2020 में उन्होंने पेटेंट को चुनौती दी, जिसका विरोध नहीं किया गया। गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुशंसित दवा प्रतिरोधी टीबी के लिए बेडाक्विलिन एक प्रमुख इलाज है।
पिछले साल, पेटेंट कार्यालय ने जुलाई 2023 में प्राथमिक पेटेंट की समाप्ति से परे वयस्कों के इलाज के लिए बेडाक्विलिन पर भारत में अपना एकाधिकार बढ़ाने के अमेरिकी फार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन के प्रयास को भी खारिज कर दिया था। यदि प्राथमिक पेटेंट की समाप्ति के बाद दूसरा पेटेंट दिया जाता, तो इससे दवा पर कंपनी का बाजार नियंत्रण बढ़ जाता।
इन फैसलों ने बाजार में एक जेनेरिक तपेदिक दवा के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया है। यह दवा प्रतिरोधी टीबी से पीडि़त रोगियों के लिए छह महीने के कोर्स के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह 45 डॉलर की न्यूनतम कीमत से 80 प्रतिशत सस्ती होने की संभावना है।
यह इलाज तक पहुंच के लिए एक बड़ा कदम है, क्योंकि इससे सस्ती दवाओं के लिए बाजार खुल जाएगा। इस दवा में अनुसंधान एवं विकास बहुत कम है और बच्चे सबसे अधिक असुरक्षित हैं। वयस्क दवाओं में उल्लेखनीय कमी देखी गई है और बच्चों के संस्करण के लिए भी हमें इलाज की लागत में काफी कमी आने की उम्मीद है।