ग्वालियर। सीएमएचओ ने एक अवैध क्लीनिक पर दबिश देकर लोगों का इलाज करते फर्जी डॉक्टर को रंगे हाथों दबोचा है। जब टीम मौके पर पहुंची तो क्लीनिक पर मरीजों की कतार लगी हुई थी। टीम ने डॉक्टर बनकर बैठे रवींद्र विश्वास से उसकी डिग्री के बारे में पूछा तो उसने खुद को साइंस से बीए पास बताया। जब उससे पूछा कि साइंस से बीए पास कैसे किया तो वह कहने लगा कि कोलकाता में हो जाता है। उसके जवाब से अधिकारी भी हैरान रह गए। उसे पुलिस के हवाले किया गया।
जानकारी अनुसार नगरीय निकाय के प्रमुख सचिव संजय दुबे को हजीरा पर निरीक्षण के दौरान झोलाछाप डॉक्टर के बारे में खबर मिली थी। इसके बाद सीएमएचओ मदुल सक्सेना और प्रशासन के अधिकारी जांच करने पहुंचे। हजीरा टीआई आलोक भदौरिया ने बताया कि रवींद्र कई साल पहले कोलकाता से यहां आकर बस गया। उसने इलाज करने का धंधा शुरू कर दिया। उसके पास कोई डिग्री नहीं थी। पूछताछ में रविन्द्र ने माना कि वह लोगों का इलाज करता है। डिग्री के नाम पर वह कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाया।
राठौर चौक पर रवींद्र पर कार्रवाई होती देखकर उससे इलाज कराने वाले पैरवी में उतर आए। वहां भीड़ लग गई। लोगों ने उसे बचाने के लिए तमाम दलीलें दीं। कहना था कि डॉक्टर भले झोलाछाप है, लेकिन उसकी दवा काम आती है। सिर्फ 10 रु में इलाज कर देता है। पैसा नहीं है तो भी जरूरतमंद को नहीं लौटाता, उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करने देंगे। प्रशासन की टीम के काफी समझाने के बाद ही लोग माने। आखिर आरोपी पर धारा 420, मप्र गुप्तचर गृह एवं उपचार संबंधी संस्थापनाएं अधिनियम की धारा 3.8 क11 एवं 24 मप्र आयुविज्ञान परिषद अधिनियम 1987 के तहत केस दर्ज कर लिया गया।