ग्रेटर नोएडा। एंटीबायोटिक दवा के 27 सैंपल फेल मिलने के बावजूद जिले के सरकारी अस्पतालों में दवा मरीजों को बांट दी गई। गले के संक्रमण, एलर्जी, लीवर और गुर्दे की दिक्कत में ये दवा दी जाती है। बताया गया है कि एजिथ्रोमाइसिन सस्पेंशन 100 एमजी के 27 बैच के सैंपल फेल जांच में फेल हुए हैं। उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉर्पोरेशन को पिछले साल दिसंबर में इसकी जानकारी मिल गई थी। बीते कुछ समय से कंपनियों द्वारा कॉरपोरेशन को घटिया दवा सप्लाई करने के मामले सामने आ रहे हैं। इसके चलते पूर्व में भी कई दवाओं के सैंपल जांच के दौरान फेल पाए गए। एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन सस्पेंशन 100 एमजी की आपूर्ति मेसर्स टेरेस फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा मेडिकल कॉरपोरेशन को की गई थी। वहां से दवा को प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों के साथ ही गौतमबुद्धनगर के सरकारी अस्पतालों में भेजा गया था। जिले के केंद्रीय औषधि भंडार के प्रभारी चीफ फार्मासिस्ट डीसी शर्मा ने बताया कि दवा कंपनी की ओर से 18 जुलाई 2019 को केंद्रीय औषधि भंडारों में भेजी थी। इसके बाद अधिकारियों ने दवा की गुणवत्ता जांचने के लिए अलग-अलग बैच के 27 नमूने जांच के लिए भेजे, जिसमें दवा मिसब्रांड की पाई गई। अधिकारियों का दावा है कि ऐसी दवा मरीजों को नहीं दी जा सकती। फेल हुई दवा एजिथ्रोमाइसिन का निर्माण कंपनी ने जून 2019 में किया और एक्सपायर होने का साल 2021 है। दवा के 27 बैच के भरे गए सैंपल की जांच रिपोर्ट कॉर्पोरेशन को मिल गई थी। फिर भी 45 दिनों तक अस्पतालों में यह घटिया दवा मरीजों को दी गई।