सोलन (हिमाचल प्रदेश): सावधान! अगर आपकी सेहत खराब है तो दवा खरीदने से पहले सचेत हो जाएं। बाजार में मिलने वाली कई दवाइयां लैब में परीक्षण के दौरान फेल पाई गई हैं। हालांकि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने देशभर में ड्रग अलर्ट जारी कर संबंधित राज्यों के दवा नियंत्रकों को सचेत कर दिया है। साथ ही कंपनियों से जवाब मांगने व खराब बैच को प्रतिबंधित करने का आदेश भी दिया है। सीडीएससीओ ने बीते माह विभिन्न स्थानों से दवाइयों के सैंपल भरे थे। इनमें 22 नामी कंपनियों की दवाइयां जांच में फेल मिली हैं। जिन कंपनियों की दवा खराब पाई गई, उनमें कैडिला, एनरोज, सन फार्मा, जैक्सन, मेडिपोल जैसी नामी कंपनियां शामिल हैं। ये कंपनियां एंटी बॉयोटिक, बुखार, डायबिटीज और गैस्टिक की दवाएं बनाती हैं।
सीडीएससीओ के अनुसार जांच में हिमाचल प्रदेश की 10 दवा कंपनियां भी लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करती पाई गईं। बरोटीवाला स्थित एनरोज फार्मा में निर्मित सीमोक्स 250 डीटी, बद्दी के गुल्लरवाला स्थित ऐफी पेरेंटेरल्स में निर्मित एलसीटापम एस-10 व विंग्स बॉयोटैक में निर्मित पैंटोप्रैजोल दवा कोलकाता में मानकों पर खरी नहीं उतरीं। कांगड़ा के संसारपुर टैरेस स्थित टैरेस फार्मास्यूटिकल में निर्मित आर्पिक-20 दवा का सैंपल मुंबई में फेल पाया गया है। सिरमौर के पांवटा साहिब स्थित तिरुपति मेडिकेयर में निर्मित इस्पाघुला हस्क दवा को चंडीगढ़ लैब ने फेल करार दिया है। सिरमौर के हॉरिजन बॉयोस्यूटिकल्स में निर्मित डिक्लोफिनैक पोटासियम का परीक्षण चंडीगढ़ में फेल हुआ। बोफिन बॉयोटैक की रेबप्राजोल टेबलेट का सैंपल भी खराब पाया गया। मेडिपोल फार्मास्यूटिकल बद्दी की दवा टिजांडिन हाइड्रो क्लोराइड गाजियाबाद में असफल रही। एचएल हेल्थकेयर की दवा एसिकलोफिनेक पैरासिटामोल दवा दिल्ली, बद्दी के स्कॉट ऐडिल में निर्मित दवा, सिल्वर सल्फेडियाजिन के सैंपल चंडीगढ़ में फेल हो गए।
दवाओं की बिक्री पर रोक
हिमाचल प्रदेश के राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मरवाहा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश से संबंधित सभी दवा कंपनियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। टीम ने भी कई जगह दबिश दी है और खराब दवाओं का निरीक्षण किया है। खराब पाए गए बैच को देशभर से रिकॉल किया गया है। इसकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है।