नई दिल्ली  : 15 से 17 साल आयु वर्ग में बच्चों को कोरोना टीका लगाया जा रहा है। कुछ मामलों में बच्चों पर दुष्प्रभाव की खबरें सामने आने के बाद आशंकाएं बढ़ गई हैं। हालांकि, टीकाकरण से जुड़े अधिकारी ने बताया कि कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट के मामले नगण्य हैं। उन्होंने कहा की किशोर कोरोना वैक्सीन लगवाने से घबरा रहे हैं। यह सबसे आम रिएक्शन है। मेडिकल साइंस में इसे एंग्जाइटी कहते हैं।

बता दें कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट में सबसे आम वैक्सीन लगवाने के बाद हल्का बुखार, सिर दर्द और वैक्सीन की जगह पर लाल रंग का दाग होना है। किशोरों को लगाई जा रही कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभाव की समीक्षा करने के लिए सरकार ने एक समिति बनाई है। इस पैनल के सदस्य अत्यंत गंभीर साइड इफेक्ट का अध्ययन कर रहे हैं।

इकोनामिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना टीके के प्रभाव का आकलन कर रहे पैनल के एक सदस्य ने बताया कि अधिकांश बच्चों को जो कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है उसमें किसी तरह के साइड इफेक्ट की खबरें नहीं हैं। यह उत्साहजनक है। उन्होंने बताया कि कुछ एंजाइटी के मामले रिपोर्ट किए गए हैं, लेकिन इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। पैनल के सदस्य के मुताबिक कुछ मामले गंभीर साइड इफेक्ट के भी सामने आए हैं लेकिन राहत की बात है कि इनको वैक्सीन से ही ऐसा दुष्प्रभाव हुआ है इसके प्रमाण नहीं मिले हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वैक्सीन के साइड इफेक्ट के बारे में जानकारी रखने वाले व्यक्ति ने बताया कि कुछ टीकाकरण केंद्रों पर एंग्जाइटी से जुड़े मामले सामने आए। इनमें टीका लगवाने वाले बच्चों के बेहोश होने की बात सामने आई, जो अधिकांश लड़कियां थीं।

बता दें कि 12 मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 1739 नाबालिग बच्चों में कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट की बात सामने आ चुकी है। इसमें 81 मामले गंभीर, जबकि 6 मामले अत्यंत गंभीर श्रेणी के हैं। इन बच्चों को टीके लगाए जाने के बाद स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हुईं।

टीका प्रभाव समीक्षा पैनल में शामिल एक अन्य सदस्य ने बताया कि टीका लगाए जाने वाली जगह पर दर्द, हल्का बुखार और सूजन के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। ऐसे मामले बिना किसी चिकित्सा उपचार के ही ठीक हो गए। सीवियर यानी अत्यंत गंभीर दुष्प्रभाव में तेज बुखार और जान को खतरा होने जैसी एलर्जी का मामला भी सामने आया है। इन मामलों में टीका लगवाने वाले किशोरों के उपचार की जरूरत पड़ी। उन्होंने बताया कि गंभीर प्रकृति के मामलों का अध्ययन किया जा रहा है।

पैनल के एक अन्य सदस्य के मुताबिक टीकाकरण के बाद जिन लोगों को स्वास्थ्य समस्याएं हुई हैं उनमें केवल टीके के कारण ही ऐसा हुआ है इस बात के पुख्ता साक्ष्य नहीं मिले हैं। बता दें कि 15 से 17 साल के आयु वर्ग के बच्चों को भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन (कोवैक्सीन) लगाई जा रही है।