सिरसा। गुप्ता अल्ट्रासाउंड सेंटर पर भ्रूण लिंग जांच मामले में नया मोड़ आ गया है। अब इस मामले की जांच हिसार के सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र कादयान को सौंप दी गई है। सिरसा की एनजीओ परिवर्तन की चेयरपर्सन शिल्पा वर्मा एडवोकेट की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के डीजी (डायरेक्टर जनरल) ने जांच के आदेश जारी किए हैं। वैसे शिल्पा वर्मा ने इस मामले को लेकर कोर्ट में याचिका भी दायर की हुई है। शिल्पा वर्मा ने दी शिकायत में बताया कि गुप्ता अल्ट्रासाउंड सेंटर में हुए लिंग जांच मामले में 21 जनवरी को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापा मारा था। छापे के दौरान सिविल सर्जन डॉ. विरेश भूषण, डॉ. राजेश चौधरी और डॉ. बुधराम भी शामिल थे। लेकिन छापा मारने के बाद गुप्ता अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालक डॉ. अशोक कुमार गुप्ता को बचाने का हरसंभव प्रयास किया गया जिसकी वजह से डॉ. गुप्ता अभी तक इस मामले में बचे हुए हैं। इसलिए इन सभी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग व सीआईडी की संयुक्त टीम ने बीती 20 जनवरी 2018 को सरकूलर रोड स्थित गुप्ता अल्ट्रासाउंड सेंटर पर छापेमारी कर भ्रूण लिंग जांच करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था। छापेमारी टीम ने तीन युवकों को 30 हजार रुपये सहित रंगे हाथों काबू किया था। बाद में उनमें से एक युवक को छोड़ दिया था और दो युवकों के खिलाफ केस दर्ज कर उनको गिरफ्तार भी किया गया था।

मामला गरमाने के बाद अगले दिन आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) भी आरोपी डॉक्टर को निर्दोष बताकर समर्थन में उतरी थी। लेकिन पुलिस एफआईआर में डॉक्टर का नाम नहीं होने के बाद एसोसिएशन पदाधिकारियों ने विरोध जताने का फैसला वापस ले लिया था। हालांकि अल्ट्रासाउंड सेंटर पर छापेमारी में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने रात को डेढ़ बजे तक बंद कमरे में जांच पड़ताल की। उसी समय पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगने शुरू हो गए थे। पुलिस की ओर से मौके पर पकड़े गए दोनों आरोपी एजेंट से पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जो पूछताछ की थी, उसका भी वीडियो वायरल हुआ। इसमें उन्होंने स्वीकार किया कि वे पहले दिन इस मामले को लेकर डॉ. अशोक गुप्ता से मिलकर गए थे। उन्होंने दस मिनट तक डॉ. अशोक गुप्ता से बातचीत भी की। उसके बाद भ्रूण लिंग जांच करवाने वाली पार्टी से बात करके उन्हें दूसरे दिन यहां लेकर अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए आए थे। पुलिस ने उनके यह बयान भी लिखे लेकिन डॉक्टर को आरोपी नहीं बनाया गया है। जबकि पुलिस का कहना है कि जो जांच टीम शामिल डॉक्टर थे, उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही कार्यवाही की गई। उधर, डॉ. अशोक कुमार गुप्ता का दावा है कि वे ऐसा काम नहीं करते। ये तमाम आरोप बेबुनियाद हैं। जब मैंने ऐसा कोई नाजायज कार्य किया ही नहीं तो मुझे डर कैसा।