फैजाबाद
एनआरएचएम की सीबीआई जांच में सीएमओ, डिप्टी सीएमओ और कई लिपिक व विभाग के अन्य कर्मचारी भी शक के दायरे में हैं। इनमें से कई करोड़पति हैं। सूत्रों का कहना है कि विभागीय कर्मचारियों ने आपस में मिलीभगत करके अपनी पत्नियों व अन्य खास लोगों के नाम धन आवंटित करके गोलमाल किया था।

मसौधा, सोहावल और रुदौली पर सीबीआई की विशेष नजरें हैं। सीबीआई टीम ने एनआरएचएम से जुड़े तमाम अभिलेख विभाग से मांगे हैं। सीएचसी रुदौली में फर्जी नसबंदी करके लाखों रुपये का गोलमाल किया गया था।

वर्ष 2009 नसबंदी प्रपत्र पर सर्जन डॉ. राजेंद्र कुमार जायसवाल हस्ताक्षर करने से माना किया तो अधीक्षक डॉ. अजय मोहन ने उनकी शिकायत की। इस पर सीएमओ ने फौरी तौर पर उनका तबादला रुदौली से मवई कर दिया। डॉ. राजेंद्र ने मवई जाने से इंकार किया तो सीएमओ के शासकीय पत्र पर उनका तबादला झांसी कर दिया।

विभागीय उत्पीडऩ से आहत डॉ. जायसवाल ने नौकरी छोड़ी और विभाग ने भी उन्हें टर्मिनेट करने की घोषणा कर दी। सीएचसी सोहावल के लिपिक आरके दुबे को जब से एनआरएचएम के कार्य की जिम्मेदारी मिली, उसके बाद से उनके परिवार ने फैजाबाद और सोहावल के बीच दो बड़े भूखंड खरीद लिए। उनकी पत्नी करोड़पति हो गई। लिपिक के पास अकूत संपत्ति की शिकायत विजलेंस में भी की गई है। पीएचसी मसौधा में लिपिक को हाशिये पर रखकर सहायक शोध अधिकारी प्रवीण कुमार त्रिपाठी से लिपिक का कार्य कराया जा रहा था। प्रवीण ने मसौधा पीएचसी पर प्रसूताओं को लाने व ले जाने का ठेका अपनी पत्नी को दे दिया।

उसकी पत्नी के एक-दो नहीं बल्कि चार चार वाहन विभाग में प्रसूताओं को कागजों पर जाने व ले जाने का काम कर रहे हैं। जबकि शासनादेश के तहत विभाग के कर्मचारी या उसके परिवार के किसी भी सदस्य को किसी प्रकार का ठेका व अन्य लाभ नहीं देना चाहिए।

सीबीआई के अफसरों ने जननी सुरक्षा योजना व वाहनों के भुगतान में धन आवंटन से जुड़े दस्तावेजों को तलब किया है। इसके लिए एनआरएचम के कार्य कर रहे गोरखपुर में तैनात लिपिक पुरुषोत्तम चौरसिया को बुलाया गया था। उनके जाने के बाद अंबेडकरनगर सीएमओ कार्यालय में तैनात लिपिक रमेश कुमार को बुलाकर दस्तावेजों को दुरुस्त कराया जा रहा है।