नई दिल्ली। एक समय था जब होम्योपैथी की दवाओं पर उसके खराब (एक्सपायरी) होने की तारीख नहीं होती थी, लेकिन बाद में एक्सपायरी डेट के प्रावधान से होम्योपैथी की 1700 तरह की दुर्लभ दवाओं की बाजार में आपूर्ति बंद हो गई। इस वजह से मरीजों के इलाज का संकट खड़ा हो गया। दरअसल, होम्योपैथिक दवाओं पर एक्सपायरी डेट का प्रावधान बगैर किसी शोध व वैज्ञानिक आधार के किया गया था। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने करीब छह महीने पहले अल्कोहल युक्त (अल्कोहल डाइल्यूशन) दवाओं पर एक्सपायरी डेट लिखने का प्रावधान खत्म कर दिया है। यानी इस श्रेणी की दवाएं खराब नहीं होतीं और उनका लंबे समय तक इस्तेमाल करना सुरक्षित है। वर्ष 2006 में ड्रग एंड कॉस्मेटिक रूल में संशोधन कर होम्योपैथी की दवाओं पर एक्सपायरी डेट लिखना अनिवार्य किया गया था। क्योंकि निर्माण के पांच साल बाद ये खराब हो जाती हैं।
केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. आरके मनचंदा ने बताया कि होम्योपैथी में करीब तीन हजार दवाएं हैं, जिनमें से करीब 350 दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल होता है। होम्योपैथी की दवाओं को दो श्रेणियों अल्कोहल डाइल्यूशन व मदर टिंचर में बांटा जा सकता है। इनमें 90 फीसद तक अल्कोहल होता है। मदर टिंचर दवाएं एक अवधि के बाद जरूर बेअसर हो जाती हैं। डॉ. मनचंदा के अनुसार, यह देखा गया कि एक्सपायरी डेट लिखने के कारण दुर्लभ दवाओं की बाजार में कमी हो गई, क्योंकि एक तो उन दवाओं का इस्तेमाल कम होता है, दूसरा एक्सपायरी के बाद उसे रखा नहीं जा सकता था। इस वजह से काफी मात्रा में दवाएं बर्बाद हुईं और नुकसान के चलते दवा कंपनियों ने उन दवाओं को बनाना बंद कर दिया। कुछ डॉक्टरों का कहना है कि होम्योपैथी की दवाओं पर एक्सपायरी डेट का प्रावधान तय होने के पीछे कंपनियों का भी खेल था। ऐसी सोच थी कि एक्सपायरी डेट होने से दवाएं जल्दी खराब मानी जाएंगी तो उनकी बिक्री बढ़ जाएगी पर हुआ उल्टा। इन दवाओं की मांग नहीं बढऩे से दवाएं फार्मेसी पर ही एक्सपायर होने लगीं। होम्योपैथी में बहुत सारी दवाएं बैक पोटेंसी से बनती हैं। इसका मतलब यह हुआ कि पहले से मौजूद अल्कोहल डाइल्यूशन की पुरानी दवा से नई दवा बना ली जाती है। चूंकि नई दवा भी अल्कोहल डायल्यूशन होती है, इसलिए उसमें भी एक्सपायरी डेट की जरूरत नहीं होती।
दुर्लभ दवाओं की बाजार में उपलब्धता बनाए रखने को लेकर केंद्रीय एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पिछले साल 10 नवंबर को अधिसूचना जारी कर अल्कोहल डाइल्यूशन व बैक पोटेंसी (अल्कोहल बेस वाली एक दवा से बनाई गई दूसरी दवा) दवाओं से एक्सपायरी डेट लिखने की बाध्यता खत्म कर दी, जबकि मदर टिंचर पर एक्सपायरी डेट लिखना अनिवार्य है।