रोहतक। अब स्मोकिंग की तरह सेकंड हैंड ड्रिंकिंग से भी बचकर रहना जरूरी हो गया है। सेकंड हैंड ड्रिंकिंग यानी किसी दूसरे के ऐल्कॉहॉल का सेवन करने का बुरा असर आपकी सेहत पर भी पड़ सकता है। भारतीय मूल के वैज्ञानिक ने एक शोध में सेकंड ड्रिंकिंग के खतरों के बारे में बताया है। अमेरिका के नैशनल सर्वे डेटा के नतीजों की जांच करने पर यह बात सामने आई कि पिछले एक साल में करीब 5 करोड़ 30 लाख वयस्कों पर दूसरों द्वारा ऐल्कॉहॉल का सेवन करने का बुरा असर नजर आया। इनमें स्वास्थ्य से जुड़े खतरे नहीं बल्कि धमकी, उत्पीडऩ, प्रॉपर्टी को खतरा, तोडफ़ोड़, शारीरिक छेड़छाड़ के मामले, गाड़ी चलाते वक्त दूसरों को नुकसान पहुंचाना और आर्थिक या पारिवारिक समस्याएं शामिल हैं।
कैलिफॉर्निया के ऑकलैंड स्थित पब्लिक हेल्थ इंस्टिट्यूट के ऐल्कॉहॉल रिसर्च ग्रुप की अनुसंधानकर्ता मधाबिका बी नायक के अनुसार सेकंड हैंड ड्रिंकिंग की वजह से जो सबसे ज्यादा नुकसान देखने को मिलता है वह है धमकी और शारीरिक उत्पीडऩ से जुड़ा मामला। हमारे सर्वे में शामिल 16 प्रतिशत प्रतिभागियों ने इस बात को स्वीकार भी किया है। सेकंड हैंड ड्रिंकिंग की वजह से महिलाओं को जहां आर्थिक और पारिवारिक समस्याएं अधिक होती हैं, वहीं पुरुषों को प्रॉपर्टी में तोडफ़ोड़, गुंडागर्दी, शारीरिक मारपीट जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ता है। स्टडी के नतीजे बताते हैं कि घर में मौजूद पुरुष अगर शराब का ज्यादा सेवन करता है तो महिलाओं को सबसे ज्यादा रिस्क होता है। वहीं, पुरुषों को परिवार के बाहर के शराबियों से खतरा अधिक होता है। 25 साल से कम उम्र के लोगों में किसी अन्य के द्वारा शराब पीकर उन्हें नुकसान पहुंचाने का खतरा काफी अधिक था। नायक का कहना है कि शराब से जुड़ी पॉलिसी को नियंत्रित करना, शराब की कीमत, टैक्सेशन, इन चीजों की उपलब्धता में कमी लाना और इनके विज्ञापन पर रोक लगाने जैसे कारगर कदमों को उठाकर ही ऐल्कॉहॉल के सेवन में कमी लाई जा सकती है। साथ ही ऐसा करने से खुद शराब पीकर दूसरों को नुकसान पहुंचाने के मामले में भी कमी लाई जा सकेगी।