एमबीबीएस के लिए वार्षिक फीस 10 लाख रुपए तय,  शैक्षणिक सत्र के बीच में बंद नहीं कर सकेंगे संस्थान, 10 करोड़ का भरना होगा बांड, विद्यार्थियों के वित्तीय शोषण पर लगेगी रोक
पंचकूला (हरियाणा): राज्य में संचालित प्राइवेट मेडिकल कॉलेज, यूनिवर्सिटी और डीम्ड यूनिवर्सिटी अब छात्रों से मनमानी फीस नहीं ले सकेंगे। इसके लिए खट्टर सरकार ने नया प्रावधान बना दिया है। इसके तहत राज्य के सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम की वार्षिक फीस 10 लाख रुपए निर्धारित कर दी गई है। एनआरआई स्टूडेंट्स के लिए 1.10 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 70.61 लाख रुपए) वार्षिक फीस लगेगी। फीस स्ट्रक्चर प्रॉस्पेक्ट्स और वेबसाइट्स पर भी अपलोड करना होगा। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बताया कि सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इस संबंध में प्राइवेट संस्थानों में फीस नियंत्रण करने को अपनी मंजूरी दे दी है।
बता दें कि राज्य में करीब 6 सरकारी और करीब 41 प्राइवेट मेडिकल कॉलज हैं। निजी कॉलेज अब तक प्रति छात्र 70-80 लाख रुपए सालाना फीस वसूल रहे थे। वहीं, सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस मात्र 52 हजार रुपए सालाना है। नए प्रावधान के तहत प्राइवेट कालेजों की मनमानी पर रोक लगेगी। वहीं, प्राइवेट और सहायता प्राप्त मेडिकल कॉलेजों को दस करोड़ रुपए का बांड भी भरना होगा, ताकि वे शैक्षणिक सत्र के बीच में ही संस्थान बंद न कर सकें। अभी तक इसके लिए आधिकारिक तौर पर कोई राशि निर्धारित नहीं थी। स्वास्थ्य मंत्री विज ने बताया कि फीस संरचना में एकरूपता आने से विद्यार्थियों का वित्तीय शोषण रोका जा सकेगा।
         बीडीएस के लिए भी फीस निर्धारित
बीडीएस पाठ्यक्रम के लिए भी फीस तय कर दी गई है। ट्यूशन फीस 2.80 लाख रुपए वार्षिक और एनआरआई के लिए आरंभिक फीस 44 हजार अमेरिकी डॉलर (28.24 लाख रुपए) रहेगी। बीएएमएस, बीएचएमएस के लिए 1.50 लाख रुपए वार्षिक और 15 फीसदी एनआरआई के लिए 25 हजार अमेरिकी डॉलर (करीब 16.04 लाख रुपए) तय की गई है। वहीं बीपीटी, एमपीटी, बीएससी नर्सिंग, पोस्ट बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए 60 हजार रुपए, 15 फीसदी एनआरआई सीटों के लिए 15 हजार अमेरिकी डॉलर (9.63 लाख रुपए) फीस रहेगी। एमएससी नर्सिंग के लिए 75 हजार रुपए वार्षिक एवं 15 फीसदी एनआरआई विद्यार्थियों के लिए 15 हजार अमेरिकी डॉलर 9.63 लाख रुपए फीस है। विशेष बात यह है कि बीपीटी, एमपीटी के अलावा अन्य सभी पाठ्यक्रमों में फीस वार्षिक वृद्घि पांच फीसदी हो सकेगी।