अंबाला : स्वस्थ मंत्री अनिल विज ने पद संभालते ही डॉक्टरों की सुव्यवस्था का बीड़ा उठाया था परंतु विभाग में और जरूरी कामों के चलते ये मुद्दा कहीं दब गया। विज चाहकर भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में डॉक्टरों की कमी पूरा नही कर पा रहे। करोड़ों रुपये की लागत से बने अति आधुनिक अस्पताल में आए दिन मरीज डॉक्टरों की नामौजूदगी का रोना रोते हैं।

उपकरण और अन्य संसाधनों से लैस कमरे में रखी कुर्सियां डॉक्टरों की बाट जोह रही हैं। घंटों इंतजार के बाद मरीज बिना इलाज लौटने को मजबूर है। डॉक्टरों की कमी का दर्द स्वास्थ्य महानिदेश प्रवीण गर्ग के पत्र से भी छलका कि जहां सरकारी डॉक्टरों की कमी है वहीं कई जगह पर सरप्लस डॉक्टर अपना वर्चस्व कायम किए हुए हैं। सरप्लस डॉक्टरों को जब भी इधर-उधर करने के सरकारी आदेश जारी होते हैं तो वह ऊंची पहुंच का फायदा उठाकर स्थानांतरण रुकवा लेते हैं। गर्ग ने बाकायदा लिखित में पत्र क्रमांक 1435 दिनांक 12.4.17 में स्थिति स्पष्ट की है।