रोहतक। हरियाणा वालो को अभी भी संभलने की जरुरत है जो कोरोना को भयावह नहीं समझ कर लापरवाही कर रहे हैं। बता दे कि कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के लिए भी खतरा टला नहीं है ख़ास कर वे लोग जिनकी इम्युनिटी कम है या फिर वे पहले से डायबिटीज, किडनी, लीवर या फिर कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं।
रोहतक पीजीआई के ईएनटी एवं हेड एंड नेक कैंसर सर्जन डॉ. भूषण कथूरिया के अनुसार कोरोना महामारी के बीच हरियाणा में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले मरीजों के मौत की बड़ी वजह बनकर सामने आ रहे हैं। कोरोना संक्रमित या ठीक हो चुके जाे मरीज अनियंत्रित शुगर के मरीज है, उनके स्टेरॉयड चल रहे हैं और इम्युनो सेपरेशन की दवाएं ले रहे हैं। ऐसे कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन तेजी से फैल रहा है। इन्हें बचने की जरूरत है। उन मरीजों की हालात ज्यादा नाजुक हैं। अब तक मेरे सामने ही 8 दिन में ब्लैक फंगस के 20 केस आ चुके हैं। इनमें से 2 की जान जा चुकी है। 10 मरीजों की एक आंख और जबड़े का ऊपरी हिस्सा ऑपरेशन से निकालना पड़ा है। 8 मरीज में संक्रमण का पहले पता चल गया तो उन्हें ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ी। पहले ये केस सालभर में इक्का-दुक्का आते थे।
रोहतक की 65 वर्षीय महिला की दोनों आंखे इस काले फंगस ने छीन ली। कोरोना के इलाज के दौरान इनके स्टेरॉयड चल रहे थे। कोरोना से जीतकर घर लौटी। एक सप्ताह बाद ही आंख पर सूजन आने लगी और नजर कमजोर हो गई। जब अस्पताल पहुंचे तो एमआईआर और सीटी स्कैन में पता चला कि फंगस ऊपरी जबड़े और दाईं आंख में फैल चुका था। दोनों आंख की रोशनी गंवानी पड़ी। जान बचाने के लिए ऑपरेशन किया। दाईं आंख और जबड़े का हिस्सा निकालना पड़ा। बेशक डॉक्टरों ने महिला की जिंदगी तो बचा ली, लेकिन काले फंगस ने वे आंखें छीन ली जिसकी बुढ़ापे में जरूरत थी।
झज्जर निवासी 31 वर्षीय महिला की भी कोविड से ठीक होने के बाद घर जाने के करीब 5 दिन बाद ही चेहरे पर सूजन व आंख में दर्द के बाद रोशनी जा चुकी थी। अस्पताल पहुंचे तो सीटी स्कैन के बाद ऑपरेशन करना पड़ा और बाईं आंख गंवानी पड़ी। काला फंगस आंख व नाक को ग्रस्त कर चुका था। जान बच गई। मगर जो दंश इस महामारी के बाद काले फंगस से मिला वह ताउम्र का दर्द दे गया ।
सोनीपत निवासी 28 वर्षीय महिला का भी कोरोना संक्रमण के बाद इनके ऊपर वाले जबड़े, नाक और आंख का निचला हिस्सा फंगस के कारण संक्रमित हो चुका था। इन तीनों हिस्से को निकालना ही एक उपाय बचा था। चूंकि संक्रमण इतना ज्यादा था कि न निकालने पर असर दिमाग पर भी पड़ सकता था। ऑपरेशन के बाद दोनों आंखों की रोशनी को बचा लिया गया। अगर समय रहते इलाज न होता तो परिणाम गंभीर होता।
हिसार निवासी 25 वर्षीय युवक के तो दिमाग तक पहुंच गया था ब्लैक फंगस, जिस वजह से युवक की जान ही चली गई। कोरोना संक्रमण के साथ ही इलाज के दौरान फंगस नाक के अंदर से होते हुए आंख व दिमाग के अंदर तक संक्रमित कर चुका था। बमुश्किल पांच दिन में ही संक्रमण फैला था। युवक की जान नहीं बच सकी। चूंकि शुगर लेवल भी 450 तक पहुंचा हुआ था। एक ही दिन में अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि अगर समय रहते संक्रमण का पता चल जाए या यह कहें कि अगर काले फंगस के लक्षण जल्द ही पहचान लिए जाएं तो मरीजों की जान को जाने से बचाया जा सकता है।
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. विजयनाथ मिश्रा बताते हैं कि ब्लैक फंगस (म्यूकॉरमाइकोसिस) नाक से फैलता है। इस फंगस को गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिल जाती है। आर्टरी का एक हिस्सा आंख में रक्त पहुंचाती है। फंगस रक्त में मिलकर आंख तक पहुंचता है। इसी कारण ब्लैक फंगस या ब्लड फंगस से संक्रमित मरीजों की आंख निकालने के मामले सामने आ रहे हैं। अब हर दिन बढ़ रहे हैं मामले गंभीर मामलों में मस्तिष्क भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकता है। हमने ये ब्लैक फंगस के सिर्फ 15 से 16 मामले देखे थे। अब ये मामले हर दिन बढ़ रहे हैं, जो चिंताजनक हालात को बयां करते हैं। संक्रमण के बीच बरती गई लापरवाही भारी पड़ रही है।
डॉ. विजय बताते हैं कि म्यूकॉरमाइकोसिस एक अलग तरह का फंगस है। ये रक्त वाहिकाओं में छेद करने की क्षमता रखता है। शरीर में प्रवेश के साथ ही ये रक्त वाहिकाओं में पहुंचने के लिए उसे नुकसान पहुंचाता है। कामयाबी मिलने के बाद रक्त के जरिए ये पूरे शरीर में फैल जाता है और रक्त प्रवाह को रोकता है। इस कारण रक्त वाहिका सूख जाती है, जो गैंगरीन की तरह दिखता है। गैंगरीन काले रंग का होता है। इसी कारणवश इसे ब्लैक फंगस या ब्लड फंगस भी कहते हैं।
ये लक्षण दिखे तो तुंरत डॉक्टर से संपर्क करें –
* आंख की लालिमा या सूजन को नजरअंदाज न करें
* ब्लैक फंगस की चपेट में आने पर सबसे पहले आंख अचानक लाल होगी। आंख में सूजन आ जाएगी।
* नजर कमजोर पड़ने लगेगी। गंभीर मामलों में रोशनी भी जा सकती है।
* कोरोना रोगी आंख की लालिमा या सूजन को नजरअंदाज न करें।
ध्यान दें जब मस्तिष्क तक पहुंचेगा फंगस
* फंगस धमनियों के जरिए जब मस्तिष्क तक पहुंचेगा, तो रोगी को अचानक लकवा, मिर्गी का दौरा, बेहोशी, सिर में असहनीय दर्द जैसी गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं।
* कुछ गंभीर मामलों में रोगी की अचानक मौत हो सकती है।