हरियाणा स्वास्थ्य विभाग की एक बार फिर से बड़ी लापरवाही सामने आयी है। इस बार स्वास्थ्य विभाग जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में बरती गई खामियों को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है। हाल ही में एक मृत्यु प्रमाण पत्र सामने आया है। इस प्रमाण पत्र में मृत्यु की तिथि 31 अप्रैल को दर्शायी गई है लेकिन असल में अप्रैल में केवल 30 दिन ही होते हैं। ऐसे में विचार करने वाली बात यह है कि आखिर 31 अप्रैल को मौत कैसे हो गई।

जबकि मृत्यु प्रमाण पत्र में तारीख के साथ-साथ मृत्यु के साल में भी बहुत बड़ी गड़बड़ी पायी गई है। मृत्यु होने से पहले ही बता दिया गया है कि इंसान की मौत इस तिथि को होगी। ऐसे में मृत्यु प्रमाण पत्र में हुई इतनी बड़ी लापरवाही को ठीक करवाने के लिए पीड़ित परिवार रोजाना स्वास्थ्य विभाग के चक्कर काट रहा है।

 जानते हैं क्या है पूरा मामला 

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एक प्रमाण पत्र में विदया देवी की मृत्यु 31 अप्रैल 1992 को दर्शायी गई है। रजिस्ट्रेशन संख्या के कॉलम में लिखा है नोट: रजिस्ट्रर में क्रम संख्या नहीं लिखी हुई है। मृत्यु का स्थान कोरियावास और मृत्यु तिथि 31 अप्रैल 1992 अंकित है। इस प्रमाण पत्र के हिसाब से विदया की मौत 31 अप्रैल को हो गई थी जो तारीख कभी कैलेंडर में अंकित ही नहीं है। दूसरी बात मृत्यु से पहले इसकी जानकारी 12 अप्रैल को ही दे दी गई थी। इसलिए रिजिस्ट्रेशन की तिथि 12 अप्रैल को लिखी हुई है। इस प्रमाण प6 पर स्वास्थ्य अधिकारी की मोहर और हरे रंग से अधिकारी के हस्ताक्षर भी है।

कोर्ट जाने की सलाह 

कोरियावास गांव के रहने वाले सुबेसिंह ने बताया कि उनकी पत्नी विदया देवी की मौत 30 मार्च 1992 को गांव में ही हो गई थी। इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दी गई थी। स्वास्थ्य विभाग की इतनी बड़ी लापरवाही के कारण विदिया देवी की मौत 31 अप्रैल 1992 को मृत्यु प्रमाण पत्र पर दर्ज कर दी गई। विभाग की इतनी बड़ी गलती का खामियाजा अब पीड़ित परिवार को भुगतना पड़ रहा है। हर जगह उन्हें उपहास का पात्र बनना पड़ रहा है।

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जब वो किसी काम के लिए एडीसी ऑफिस में पहुंचे तो उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र की तिथि को ठीक कराने की सलाह दी गई। स्वास्थ्य विभाग में जाकर जब सीएमओ से मिले तो समाधान के बजाय कोर्ट जाने की सलाह दी गई।