भोपाल
मध्यप्रदेश में हर साल करीब डेढ लाख बच्चों की जानलेवा बीमारियों से मौत हो जाती है। देशभर में यह आंकड़ा साढ़े 13 लाख बच्चों का है। एक वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट से हुए इस खुलासे ने चिंता पैदा कर दी है। पोलियो, डिप्थीरिया, टिटनेस, काली खांसी, खसरा, टीबी और इन्फ्लूएंजा-बी जैसी जानलेवा सात बीमारियों से पीडि़त देशभर में 89 लाख बच्चों को टीके मिलते ही नहीं हैं जिसके चलते पीडि़त बच्चे मौत के मुंह में समा जाते हैं। इन बीमरियों से निपटने के लिए सरकार ने मिशन इंद्रधनुष टीकाकरण भी शुरू किया है।
वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2012-13 के अनुसार, मध्यप्रदेश में 66.4 फीसदी बच्चों का ही पूर्ण टीकाकरण हुआ है इनमें टीकमगढ़ जिला 31.5 फीसदी के साथ सबसे पीछे हैं। मिशन इंद्रधनुष का दूसरा चरण 7 अक्टूबर 2015 से प्रदेश के 25 जिलों को चिन्हित किया जा रहा है। दरसअल, पांच साल तक के बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण एक किफायती और सुरक्षित तरीका है। इसके लिए भारत सरकार ने साल 2014 में मिशन इंद्रधनुष के नाम से टीकाकरण के एक विशेष अभियान की शुरूआत की थी।
मिशन इंद्रधनुष के पहले चरण में देश के 201 जिलों को टारगेट बनाया गया था। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश में मिशन इंद्रधनुष की शुरूआत विदिशा जिले में साल 2015 में हुई थी। इस दौरान प्रदेश के 15 जिलों को चिन्हित किया गया था। बताया गया कि इस जिलों में यह अभियान राज्य सरकार, डब्ल्यू.एच.ओ., यूनीसेफ, रोटरी, सामाजिक संस्थाएं और अन्य एजेंसियां मिलकर चलाएंगी। इनके सहयोग से पांच साल से कम उम्र के ऐसे बच्चों की मृत्यु दर कम करने में मदद मिलेगी, जिन्हें टीकाकरण के जरिए जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकेगा।