नई दिल्ली : देश में हर घंटे प्रत्येक पांच में एक व्यक्ति की मौत मुंह के कैंसर से हो रही है। इस मामले में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। विश्व में लोगों की मौत का एक बड़ा कारण बना हुआ है।
शोध से यह भी पता चलता है कि विश्व स्तर पर मुंह के कैंसर से पीड़ित पांच में से चार लोगों ने तंबाकू का उपयोग किया था। कैंसर के कुछ पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को कैंसर का उच्च जोखिम माना जाता है।
भारत में 27.49 करोड़ लोग तंबाकू का उपयोग करते हैं जो, काफी चौंकाने वाले आंकडें हैं। मुंह का कैंसर मुख्य तौर पर होठों की भीतरी सीमा और जीभ के आगे के दो-तिहाई हिस्से सहित मौखिक गुहा की सभी सतहों में कोशिकाओं का बेहद अनियंत्रित प्रसार है।
ये कैंसर मुख्य रूप से स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के रूप में होते हैं, और अत्यधिक घातक तथा विकृत करने वाले प्रकृति के होते हैं। मुह के कैंसर का पता काफी देर से लगता है और इसके उपचार में देरी की वजह से मृत्यु दर विशेष रूप से अधिक पाई जा रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, कुछ सबसे सामान्य प्रकार के कैंसर, जैसे स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर, मुंह का कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर का पता अगर समय पर लग जाए और सर्वोत्तम विधियों के अनुसार इलाज हो जाए जो मरीज के बचने की संभावना बढ़ जाती है।