नई दिल्ली। कोरोना वायरस के इस्तेमाल में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के इस्तेमाल में आई तेजी को रोकने के लिए सरकार ने इस दवा की खुली बिक्री पर रोक लगा दी है। दरअसल, लोग वायरस के संक्रमण से बचने के लिए अधूरी जानकारियों के चलते इस दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जोकि नुकसानदायक हो सकता है। अब यह दवा तभी मिल सकेगी, जब डॉक्टरों द्वारा पर्ची पर इसके इस्तेमाल की अनुमति दी जाएगी। बता दें कि यह दवा मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और उसके फार्मूले पर बनने वाली अन्य सभी दवाओं को ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट की एच1 सूची में डाल दिया गया है। इस सूची में शामिल दवा को पंजीकृत डाक्टर की अनुसंशा के बिना नहीं बेचा जा सकता। साथ ही केमिस्ट के लिए डाक्टर की उस पर्ची को ड्रग विभाग को भी जमा कराना होगा। अभी तक इस सूची में एड्स समेत ऐसी गंभीर बीमारियों की दवाएं हैं, जिनका शरीर पर गहरा दुष्प्रभाव होता है, लेकिन मरीज की जान बचाने के लिए उसे इन दवाओं को देना जरूरी होता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव और इलाज में क्लोरोक्वीन और हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के कारगर होने की अधकचरी जानकारी के कारण बड़ी संख्या में लोग इसका इस्तेमाल करने लगे थे। बिना डाक्टर की सलाह के इस दवा के प्रयोग न करने के आईसीएमआर के वैज्ञानिकों के बार-बार अनुरोध के बावजूद लोग मान नहीं रहे थे। यहां तक कि सोशल मीडिया और इंटरनेट पर इस दवा के कोरोना वायरस को रोकने में सफल रहने के दावे के बीच इसके इस्तेमाल की सलाह दी जा रही थी। मंत्रालय ने बताया कि हकीकत यह है कि इस दवा के ज्यादा प्रयोग से आंख की गंभीर बीमारी भी हो सकती है। इसके साथ ही लीवर, दिल और किडनी की बीमारियों के जूझ रहे मरीजों पर इसका दुष्प्रभाव घातक हो सकता है। इसीलिए इस दवा के गलत इस्तेमाल रोकने के लिए इसकी खुली बिक्री पर प्रतिबंध लगाना जरूरी हो गया था।