रोहतक । दिल के मरीजों और उनके अभिभावकों को हमारी सलाह है कि हार्ट अटैक आदि की समस्या आने पर रोहतक पीजीआईएमएस का रूख करने से बचें , क्योंकि आपके दिल को नुक्सान होने से बचाने के लिए स्टेंट डालने की सुविधा पिछले छह महीने से यहां बंद है । स्टेंट डालने की मशीन जिसे तकनीकी भाषा में कैथ लैब कहा जाता है , विगत छह महीने से भी अधिक समय से खराब पड़ी है । इस वजह से आर्थिक रूप से कमजोर व मजबूर मरीजों को यहां ऐसी मौत मरना पड़ता है , जिससे वे आसानी से बच सकते थे ।

रोहतक स्थित हरियाणा के सबसे बड़े सरकारी चिकित्सा संस्थान पीजीआईएमएस के बारे में आप कह सकते हैं कि यहां सरकार व प्रशासन के बड़े बड़े दावों की सरेआम धज्जियां खुद यहां के डाक्टरों , कर्मचारियों व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा ही उड़ाई जा रही हैं । ‘नाम बड़े और दर्शन छोटे’ वाली कहावत रोहतक पीजीआईएमएस पर बिल्कुल खरी उतरती है ।

गौरतलब है कि रोहतक पीजीआईएमएस में न तो मौजूदा कैथ लैब की मरम्मत ही कराई जा रही है और न ही नई कैथ लैब खरीदने का ही कोई बंदोबस्त किया जा रहा है । दरअसल पीजीआईएमएस के डाक्टरों , सहायक कर्मचारियों , तकनीशियनों व प्रशासनिक अधिकारियों की कैथ लैब के ठीक कराने में कोई रूचि ही नहीं है ।

पीजीआईएमएस के एक वरिष्ठ डाक्टर ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि यदि कैथ लैब मशीन की समस्या का समाधान हो गया तो संस्थान के डाक्टरों व कर्मचारियों को प्राइवेट अस्पतालों व नर्सिंग होम्स से मिलने वाला मोटा कमीशन बंद हो जाएगा । प्राइवेट अस्पताल व नर्सिंग होम मरीजों व उनके अभिभावकों की जेब से ही पीजीआईएमएस के डाक्टरों व अन्य स्टाफ का कमीशन भी वसूल करते हैं । इससे मरीज के इलाज का खर्चा बेतरह बढ़ जाता है । रोहतक में आधा दर्जन से अधिक प्राइवेट अस्पताल व नर्सिंग होम हैं , जो दिल के मरीजों को स्टेंट डालने की सुविधा देते हैं । पीजीआईएमएस की कैथ लैब खराब होने से इन अस्पतालों व नर्सिंग होम्स की पूरी तरह से पौ बारह है ।

पता चला है कि जब से रोहतक पीजीआईएमएस की कैथ लैब मशीन खराब हुई है , पीजीआईएमएस में दिल के मरीजों की मौत का प्रतिशत एकाएक काफी बढ़ गया है । पिछले छह महीनों के दौरान पीजीआईएमएस में दम तोड़ने वाले दिल के मरीजों की तादाद चौंकाने वाली है , जिसकी उच्च स्तरीय जांच कराये जाने की जरूरत है ।

प्रदेश भर से दिल के मरीज रोहतक पीजीआईएमएस का रूख इस उम्मीद से करते हैं कि वहां उन्हें सस्ता व उम्दा इलाज मिलेगा , लेकिन जब यहां आकर उन्हें पता चलता है कि सालाना अरबों रूपये के बजट को चट करके चलने वाले इस संस्थान में इलाज के लिए जरूरी मशीनें व उपकरण महीनों से खराब पड़े हैं और जीवनरक्षक दवाईयां तक अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं तो उनकी सारी उम्मीदें टूट कर चूर-चूर हो जाती हैं । आखिर उन्हें अपने मरीज की जिंदगी बचाने के लिए सिर पर आन पड़ी एमरजैंसी में अनाप-शनाप ब्याज की दरों पर साहूकारों से कर्ज लेकर प्राइवेट अस्पतालों व नर्सिंग होम्स के संचालकों की जेबें भरनी पड़ती हैं ।

रोहतक पीजीआईएमएस में दिल के मरीजों को किस तरह से दुर्दशा झेलनी पड़ रही है , इसका एक शर्मनाक व दिल दहला देने वाला उदाहरण हाल ही में सामने आया है । रोहतक के सेक्टर एक की निवासी 72 वर्षिया महिला खजानी देवी के साथ रोहतक पीजीआईएमएस में बहुत ही बुरी बीती । गत सोमवार की रात को अचानक खजानी देवी की हालत बिगड़ गई तो उनके पुत्र रवि भारती उन्हें इलाज के लिए पीजीआईएमएस की एमरजैंसी में ले गये । आप जानते हैं कि एमरजैंसी वार्ड में कोई भी सीनियर डाक्टर मौजूद नहीं होता और रेजीडेंट या पीजी डाक्टरों के भरोसे ही एमरजैंसी वार्ड चलता है । वहां मौजूद पीजी डाक्टरों ने रवि भारती को बार बार कहा कि कोई खास गंभीर बात नहीं है । उन्होंने मरीज के ईसीजी व दूसरे टैस्टों को भी नॉर्मल बताया । सुबह पौने नौ बजे मरीज को वार्ड तीन में भेज दिया गया । वार्ड में मौजूद एक डाक्टर ने टैस्ट रिपोर्ट देख कर कहा कि आपके मरीज को तो मेजर हार्ट अटैक आया है और आप लोग मरीज को सामान्य ढ़ंग से ले रहे हैं । रवि भारती ने डाक्टर को कहा कि डाक्टर साहब एमरजैंसी में किसी ने भी हमें ये नहीं बताया कि मरीज की हालत गंभीर है । हमें तो बार बार यही कहा गया कि मरीज को कोई खास तकलीफ नहीं है । डाक्टर ने कहा कि आप फौरन मरीज को 30000 रूपये का एक इंजैक्शन लगवाइये , वरना मरीज के दिमाग में रक्त स्राव शुरू हो जाएगा और मरीज की जिंदगी बचानी मुश्किल हो जाएगी । डाक्टर ने रवि वर्मा को कहा कि मरीज के हित में उसके दिल में फौरन स्टेंट डालने की जरूरत भी है । रवि वर्मा ने कहा कि डाक्टर साहब जो भी करना जल्दी कीजिए । पहले ही कई घंटे का वक्त जाया हो चुका है । डाक्टर ने कहा कि हमारी स्टेंट डालने की मशीन (कैथ लैब) तो कई दिन से खराब पड़ी है । आप इन्हें मेडीकल मोड़ पर स्थित प्राइवेट अस्पताल ‘ऑस्कर’ में ले जाएं । मैं वहां फोन कर देता हूं । जब तक आप वहां पहुंचेंगे अस्पताल में स्टेंट डालने की तैयारी हो जाएगी ।

बेचारे रवि भारती फौरन अपनी मां को लेकर ‘ऑस्कर’ अस्पताल में पहुंचे । वहां पहुंचने में उन्हें बमुश्किल दस से पंद्रह मिनट लगे होंगे । अस्पताल पहुंचते ही वहां के डाक्टरों ने मरीज को फौरन अपने कब्जे में ले लिया और ऑपरेशन थियेटर में ले गए । तकलीबन दो घंटे बाद ऑस्कर अस्पताल के डाक्टरों ने उन्हें बताया कि काफी लेट हो जाने की वजह से मरीज के दिल की सभी आर्टीलरीज डेमेज (नष्ट) हो चुकी थीं । हम मरीज को दो स्टेंट डाल चुके थे और जब तीसरा स्टेंट डाल रहे थे तो मरीज ने ऑपरेशन टेबल पर ही दम तोड़ दिया ।

रवि भारती का कहना है कि यदि पीजीआईएमएस के डाक्टरों ने हमें समय रहते ही मरीज की गंभीर हालत के बारें में सही स्थिति बता दी होती तो हम रात को ही अपनी मां को प्राइवेट अस्पताल में ले जाते और शायद मेरी मां की जिंदगी बच जाती । लेकिन पीजीआईएमएस के डाक्टरों के लिए मरीज शायद कोई प्राथमिकता नहीं रखते बल्कि उनकी रूचि आपस में गप्पे मारने , फोन पर लंबे लंबे समय तक बतियाते रहने या आपस में इश्क लड़ाने में ज्यादा होती है । मरीज की तकलीफ उनके लिए महज एक रूटीन मैटर है ।

जब रोहतक पीजीआईएमएस के एक आला अधिकारी से कैथ लैब मशीन की खराबी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मशीन की मरम्मत नहीं हो पा रही है और नई मशीन के लिए आर्डर दिया हुआ है और जल्दी ही नई मशीन की सप्लाई मिलने वाली है । लेकिन इस अधिकारी के पास इस बात का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं था कि प्राइवेट अस्पतालों व नर्सिंग होम्स की मशीनें कभी क्यों खराब नहीं होतीं और अगर होती भी हैं तो फौरन कैसे ठीक हो जाती हैं ?

* सर्वदमन सांगवान@ 9812024027
साभार – गरिमा टाइम्स