हिमाचल प्रदेश में नकली दवाओं के मामले पर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने (HC) ने दवा उत्पादकों (Drug Manufacturer Association) को दो हफ्ते का वक्त दिया है। इन दो हफ्तों में दवा उत्पादकों को हाईकोर्ट को जवाब देना होगा।
इस मामले पर हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस अजय मोहन गोयल ने स्पष्ट कर दिया कि दवा उत्पादकों को जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय नहीं दिया जायेगा। इस मामले की अगली सुनवाई अब 18 सितंबर 2023 को होगी। कोर्ट की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि इस मामले में जवाब दायर कर दिया गया है लेकिन कोर्ट ने कहा कि सरकार का जवाब अब तक उसके पास नहीं पहुंचा है।
जानते हैं नकली दवाओं के पूरे मामले के बारें में
हाईकोर्ट ने मामले को दवाइयों की जांच के लिए लैब न होने से संबंधित (Lack of Laboratories in Himachal) एक जनहित याचिका के साथ सूचीबद्ध किया है। एक समाचार पत्र में छपी खबर पर कोर्ट ने जनहित में याचिका दर्ज की है। समाचार पत्र में छपी इस खबर में उजागर किया गया है कि राष्ट्रीय औषधि नियामक (Drug Controller) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने हिमाचल में निर्मित 11 दवाइयों के नमूनों को घटिया घोषित किया है, जबकि एक नमूने को नकली पाया गया।
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जो दवाएं जांच में नकली पायी गयी है उनमें एक पशु चिकित्सा दवा भी शामिल है। घटिया और नकली दवाइयों के निर्माता बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़, काला अंब के साथ-साथ पांवटा साहिब के औद्योगिक समूहों में स्थित हैं। इन दवाओं का उपयोग स्तन कैंसर के इलाज के अलावा रक्त में कैल्शियम के उच्च स्तर, बुखार, एसिड रिफ्लक्स रोग जैसे नाराजगी और सीने में बेचैनी, दर्द और एलर्जी और बालों के झड़ने जैसी सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इन दवाइयों की परख सामग्री की कमी, विघटन, वजन में एकरूपता, कण पदार्थ की उपस्थिति आदि जैसे मुद्दों की पहचान के गुणवत्ता मानकों में विफल रहे हैं।