Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में अब तक 30 दवा निर्माताओं के लाइसेंस रद्द हो चुके हैं और इस मामले में अब तक 11 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इस बात की जानकारी खुद हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनी राम शांडिल ने दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने सात महीने के कार्यकाल में शिकायत मिलने पर 30 दवा निर्माताओं के लाइसेंस रद्द किए हैं।
इतना ही नहीं राज्य के दवा निरीक्षकों ने पहली बार अनियमिताएं पाए जाने पर कई दवा निर्माताओं पर केस दर्ज करवाकर उन्हें गिरफ्तार भी करवाया है।
पूरे हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के फार्मा उद्योग को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए
दरअसल, स्वास्थ्य मंत्री ने हिमाचल में फार्मा कंपनियों द्वारा उत्पादित की जा रही दवाइयों की गुणवत्ता को लेकर लगातार उठ रहे आशंकाओं को दूर करने की पहल की है। शांडिल ने कांगड़ा दौरे के दौरान जारी बयान में कहा कि महज कुछ लोगों की वजह से पूरे प्रदेश के फार्मा उद्योग को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए और जो भी लोग इस पर अनापशनाप बयानबाजी करते हैं वो तकनीकी तथ्यों से अनभिज्ञ है। ऐसे लोग तथ्यों की जानकारी बिना गलत बयानबाजी न करें क्योंकि इससे देश में हिमाचल की छवि खराब होती है।
प्रदेश में बन रही दवाइयां गुणवत्ता के सभी मानकों पर खरी उतरती
कर्नल शांडिल बोले कि प्रदेश में बन रही दवाइयां गुणवत्ता के सभी मानकों पर खरी उतरती हैं। हर साल प्रदेश की फार्मा कंपनियों से दवाइयों के लाखों बैच बिक्री के लिए निकलते हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दवाइयों की गुणवत्ता में कमी आने के कई कारण होते हैं। इनमें रखरखाव में कमी, उचित तापमान का अभाव , ट्रांसपोर्टेशन के दौरान हुई लापरवाही आदि शामिल हैं। ऐसे में हर दवाइयों की शुद्धता पर सवाल उठाना सही नहीं है। दवाओं की गुणवत्ता पर हाय तौबा मचाने वाले पहले तकनीकी जानकारी हासिल करें तो बेहतर होगा।
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