नई दिल्ली। फार्मा कंपनियां बिक्री बढ़ाने के लिए दवाओं के दुष्प्रभाव की जानकारी मरीजों के साथ-साथ डॉक्टरों से भी छुपा रही हैं। यह बात दवाओं के दुष्प्रभावों का अध्ययन करने वाली संस्था फार्माकोपिया कमीशन की रिसर्च में पता चली है। कमीशन ने बाजार में मिलने वाली 105 तरह की दवाओं को लेकर अलर्ट जारी करते हुए चेताया है कि इन दवाओं के सेवन से किडनी, लीवर और हार्ट जैसा गंभीर रोग हो सकता है। ये दवाएं ऐसी हैं जिन्हें हम डॉक्टर से पूछे बिना ही सामान्य तौर पर खाते रहते हैं। ऐसे में फार्मा कंपनियों को भी अब दवाओं के लिए सिगरेट पैकेट की तरह वैधानिक चेतावनी जारी करनी पड़ सकती है। कमीशन की रिसर्च में पता चला है कि 50 तरह की दवाएं ऐसी हैं जिन्हें हम खुद ही खरीदकर इस्तेमाल कर लेते हैं। इनका अधिक सेवन हार्ट, किडनी और लीवर की खतरनाक बीमारियों की वजह बन सकता है। इतना ही नहीं, 55 तरह की दवाइयां ऐसी भी है जिन्हें लिखते वक्त डॉक्टरों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है।
फार्माकोपिया कमीशन ने भारत के ड्रग कंट्रोलर को निर्देश दिया है कि इन साल्ट से दवा बनाने वाली कंपनियों को निर्देश दें कि इन दवाओं से होने वाले बुरे असर की पूरी जानकारी दवा के रैपर पर दी जाए ताकि डॉक्टर और मरीज को इसकी जानकारी पहले से हो। इनमें एजिथ्रोमाइसिन, रैंटाडिन और डाइक्लोफिनैक जैसी दवाएं शामिल हैं जिनसे कार्डिएक अरेस्ट, आंतों को नुकसान और किडनी खराब होने जैसे खतरे हैं। वहीं, मेटाफार्मिन और डॉक्सिराइक्लिन जैसी दवाएं मोटापा और डिप्रेशन का कारण बन सकती हैं। पिछले 5 सालों में इन दवाओं को लेकर मरीजों की तरफ से शिकायतों में भी लगातार इजाफा हुआ है जो 5 सालों में दोगुनी से ज्यादा बढ़ी हैं। अब कमिशन ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) को इसकी जानकारी दी है ताकि यह देशभर के चिकित्सकों को इसकी जानकारी मिल सके।