दवा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए हिमाचल के 17 दवा उद्योगों पर राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दवा उत्पादन पर रोक लगा दी है। जिन दवा कंपनियों के उत्पादन पर रोक लगाई गई है उनमें से ज्यादातर कंपनियों में बहुराष्ट्रीय उत्पादन के लिए दवाइयां बनाई जाती है।
सात दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं पर शिकंजा
साथ ही निर्धारित मानदंडों का पालन करने में विफल रही सात दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं पर भी प्राधिकरण ने शिकंजा कसते हुए परीक्षण बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं। राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने रिस्क बेस्ड निरीक्षण के दौरान बीबीएन, सिरमौर व कांगड़ा के दवा उद्योगों में कई अनियमितताएं पाई हैं। इनमें वे उद्योग भी शामिल हैं, जिनमें निर्मित दवाएं सीडीएससीओ की पड़ताल में बार-बार सबस्टैंडर्ड निकल रही है।
दवा निर्माण से जुड़ी अनियमितताएं पाए जाने पर तत्काल प्रभाव से रोक
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण द्वारा चिन्हित दवा निर्माण इकाइयों का तीसरे चरण का रिस्क बेस्ड इंस्पेकशन किया गया है। तीसरे चरण में बीबीएन, सिरमौर, ऊना और कांगड़ा में 30 से ज्यादा दवा निर्माण इकाइयों का निरीक्षण किया जा चुका है। इनमें से 17 दवा उद्योगों में दवा निर्माण से जुड़ी कई अनियमितताएं पकड़ में आने के बाद राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने तत्काल प्रभाव से उत्पादन पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए है।
हिमाचल में पहली बार प्रदेश की 12 प्राइवेट ड्रग टेस्टिंग लैब का निरीक्षण भी किया है। इस निरीक्षण में सात ड्रग टेस्टिंग लैब को निर्धारित मानदंडों को पूरा करने में विफल रहने पर तत्काल प्रभाव से टेस्टिंग रोकने के आदेश दिए गए हैं। ये लैब बाजार में आने से पहले दवा के बैचों का परीक्षण करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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