नई दिल्ली। ड्रग अलर्ट में 211 दवाइयों के सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं ने अक्तूबर महीने में विभिन्न कंपनियों के 63 नमूनों को फेल पाया है। राज्यों की प्रयोगशालाओं ने भी 148 दवाओं को अमानक घोषित किया है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन हर महीने अपने पोर्टल पर निकृष्ट गुणवत्ता और फर्जी दवाओं की सूची जारी करता है। अक्टूबर 2025 की रिपोर्ट में केंद्रीय प्रयोगशालाओं ने 63 दवाओं को गुणवत्ता मानकों में विफल पाया। वहीं राज्यों की प्रयोगशालाओं ने 148 नमूनों को अमानक श्रेणी में रखा है। यह सूची बाजार में उपलब्ध दवाओं पर किए गए नियमित परीक्षण के आधार पर तैयार की जाती है।
किसी दवा सैंपल को निकृष्ट गुणवत्ता वाला तब माना जाता है जब वह किसी निर्दिष्ट पैरामीटर में फेल हो जाए। यह जांच बैच-वार की जाती है। एक बैच विफल होता है तो इसका अर्थ यह नहीं कि उस कंपनी की सभी दवाएं खराब हैं। यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसके तहत केवल जांचे गए बैच की गुणवत्ता पर ही निष्कर्ष निकाला जाता है।
अक्टूबर महीने में गंभीर मामला फर्जी दवाओं से भी जुड़ा मिला है। बिहार से तीन और दिल्ली से दो नमूने पाए गए हैं। ये स्प्यूरियस यानी फर्जी श्रेणी में आते हैं। ये दवाएं अनधिकृत निर्माताओं द्वारा बनाई गई थीं। इनमें किसी दूसरी कंपनी के ब्रांड नाम का उपयोग किया गया था। ऐसे मामले उपभोक्ता की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। साथ ही, पब्लिक हेल्थ सिस्टम पर भी गंभीर जोखिम पैदा करते हैं।










