ग्वालियर। जबलपुर हाईकोर्ट के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देने और 5 मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टरों को बर्खास्त करने के बाद जूनियर डॉक्टर आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं। बता दें कि ग्वालियर में जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर सामुहिक इस्तीफा दिया है। एक जूनियर डॉक्टर ने बताया, “गुरुवार को मध्य प्रदेश में सभी 3000 जूनियर डॉक्टरों ने सामुहिक इस्तीफा दिया है। ये हमारी मजबूरी है। हम अपने माननीय से अनुरोध करते हैं कि हमारी मांगे मानी जाएं।”
कोरोना और ब्लैक फंगस के कहर के बीच एमपी में जूनियर डॉक्टर तीन दिन से हड़ताल पर थे। करीब तीन हजार डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर काम से किनारा कर लिया था। जूनियर डॉक्टर सरकार से मुख्य तौर पर मानदेय बढ़ाने और कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर उन्हें और उनके परिवार के लिए मुफ्त इलाज की मांग कर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने जूनियर डॉक्टरों को हड़ताल जारी रखने पर सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी।
इससे पहले गुरुवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैधानिक करार दिया था। हाईकोर्ट ने जुड़ा को निर्देश दिया था कि वो 24 घंटे के भीतर काम पर शीघ्र लौटे। 24 घंटे के भीतर अगर वो काम पर नहीं लौटे है तो सरकार को जूडा पर सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे ।
प्रदेश सरकार जूडा की अधिकांश मांगों को मान चुकी है। जूडा की मांग थी कि जूनियर डॉक्टर्स और उनके परिवार के सदस्य अगर कोरोना पीड़ित होते हैं तो उन्हें निशुल्क इलाज की सुविधा प्रदान की जाए जिसे सरकार ने मान लिया था। सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने हाई कोर्ट में बताया कि जूडा की अधिकांश मांगें मान ली गई हैं।
प्रदेश में कोरोना संक्रमण अब काफी हद तक कंट्रोल में है, लेकिन अब भी करीब 1000 नए केस रोजाना सामने आ रहे हैं। बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 991 नए मामले सामने आए थे। इसके अलावा 45 मरीजों की मौत भी हुई थी। कोरोना वायरस के साथ ब्लैक फंगस का इंफेक्शन भी प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए चुनौती बना हुआ है।