रांची। झारखंड राज्य के करीब 4 हजार फार्मासिस्टों पर गाज गिर गई है। इनके रजिस्ट्रेशन कैंसिल होने जा रहे हैं। झारखंड फार्मेसी काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इनके नवीनीकरण के मामले में स्वास्थ्य विभाग से दिशा-निर्देश मांगे थे। इस पर स्वास्थ्य विभाग ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अनुपालना में काउंसिल को फार्मासिस्टों के नवीनीकरण न करने का निर्देश दिया है।
इससे यह तय हो गया है कि संयुक्त बिहार के समय से ही बिना आवश्यक योग्यता (डिग्री या डिप्लोमा) रखने वाले फार्मासिस्टों के निबंधन का नवीकरण नहीं होगा। बता दें कि 31 दिसंबर 2017 तक ही इनका निबंधन मान्य था। ये न तो किसी दवा दुकान में काम कर सकेंगे और न ही इनके नाम से दवा दुकानों को लाइसेंस मिलेगा। हालांकि बताया जाता है कि ये फार्मासिस्ट अभी भी दवा दुकानों में काम कर रहे हैं। इस बारे में काउंसिल के निबंधक कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि काउंसिल भी फार्मासिस्टों के निबंधन के नवीकरण को लेकर अपने वकील से परामर्श ले रही है।
गौरतलब है कि संयुक्त बिहार में तैयार फस्र्ट रजिस्टर में केवल अनुभव वाले फार्मासिस्टों का निबंधन किया गया था। उस समय उन फार्मासिस्टों को शामिल किया गया था जिनके पास केवल अनुभव था, योग्यता नहीं। उसके बाद से इनके निबंधन का नवीकरण झारखंड में भी होता रहा। सर्वोच्च न्यायालय ने इसे गलत बताते हुए केवल डिग्री व डिप्लोमा योग्यता वाले फार्मासिस्टों के ही निबंधन का आदेश दिया। काउंसिल ने योग्यताधारी फार्मासिस्टों के निबंधन या उसके नवीकरण की अंतिम तिथि 31 अगस्त तय की है। इसी तिथि तक निबंधित फार्मासिस्ट दिसंबर माह में काउंसिल के होने वाले चुनाव में शामिल होंगे। इस तिथि तक काउंसिल द्वारा निबंधित एवं नवीकरण किए गए फार्मासिस्टों का वोटर लिस्ट तैयार होगा, जिसमें शामिल फार्मासिस्ट काउंसिल के छह सदस्यों का चुनाव करेंगे। हालांकि नए फार्मासिस्टों का निबंधन आगे भी जारी रहेगा।