नई दिल्ली। सालभर में 64 फार्मा कंपनी के लाइसेंस कैंसिल किए गए हैं, जबकि 17 दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं को अच्छी विनिर्माण प्रथाओ का अनुपालन न करने पर बंद करने के नोटिस दिए गए हैं।
एक साल के दौरान 423 दवा कंपनियों की जांच
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार बीते एक साल के दौरान 423 दवा कंपनियों की जांच की गई। इनमें सूचीबद्ध संस्थाएं और दवा परीक्षण प्रयोगशालाएं शामिल हैं। यहां विभिन्न विनिर्माण सुविधाओं में जांच पांच चरणों में की गई।
जांच के बाद खामियां पाए जाने पर 101 फार्मा कंपनियों का परिचालन बंद कर दिया गया और लाइसेंस निलंबित करने के 52 मामले सामने आए। अन्य 281 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। जांच में शामिल 131 दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं के खिलाफ कार्रवाई की गई। उनमें से 52 के खिलाफ परीक्षण गतिविधियों को निलंबित करने का आदेश दिया गया था।
नोटिस के बाद सुधारात्मक कार्रवाई
अधिकारी ने बताया कि रद्द किए गए किसी भी लाइसेंस को अब तक नवीनीकृत या दोबारा जारी नहीं किया गया है। कुछ मामलों में, नोटिस जारी होने के बाद सुधारात्मक कार्रवाई की गई और पूरी प्रक्रिया की समीक्षा की गई, जबकि अच्छी विनिर्माण प्रथाओं का पालन करने में बार-बार विफलता के बाद निलंबन और रद्दीकरण हुआ।
जीएमपी का पालन करना अब अनिवार्य
गौरतलब है कि देश में लगभग 10,500 विनिर्माण इकाइयाँ हैं। इनमें से 8,500 एमएसएमई श्रेणी में आती हैं। लगभग 2,000 एमएसएमई, मुख्य रूप से निर्यातकों के पास डब्ल्यूएचओ जीएमपी (अच्छा विनिर्माण अभ्यास) प्रमाणन है। भारत में सभी फार्मा कंपनियों के लिए जीएमपी का पालन करना अब अनिवार्य है।