मुंबई। विदेशी दवा कंपनी जीएसके फार्मा की भारतीय इकाई अपने कुछ नॉन-कोर ब्रांड्स बेचने जा रही है। बताया गया है कि कंपनी क्रॉनिक और वैक्सीन सेगमेंट में अपनी स्थिति मजबूत बनाना चाहती है। नॉन-कोर ब्रांड्स बेचने से इन पर वह अधिक ध्यान दे पाएगी।
नॉन-कोर ब्रांड्स बेचने से दवा कंपनी को 100 करोड़ रुपये मिलेंगे। जीएसके के प्रवक्ता के अनुसार भारत हमारे लिए इंपॉर्टेंट मार्केट है। हम यहां काफी लंबे समय से हैं। हम दुनिया में अपनी जानी-मानी दवाओं को यहां लाना चाहते हैं। हम वैक्सीन सेगमेंट को लेकर भी ऐसा ही सोच रहे हैं।
कंपनी ने बताया कि भारत में बिजनेस बढ़ाने के लिए वह कुछ ब्रांड्स पर ध्यान दे रही है। जीएसके ने इसके लिए चुनिंदा थेरेपी सेगमेंट की पहचान की है। कंपनी ने बिक्री बढ़ाने के लिए फील्ड एंप्लॉयीज की संख्या में एक तिहाई बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। जीएसके रेस्पिरेटरी, एंटी-इंफेक्टिव्स और डर्मेटोलॉजी सेगमेंट में कुछ ब्रांड्स को बेचने की तैयारी कर रही है। इन्हें बेचने के लिए उसने एफडीसी फार्मा, पिरामल और स्ट्राइड्स शासुन से संपर्क किया है। जीएसके देश की सबसे पुरानी दवा कंपनियों में से एक है, लेकिन उसे ग्रोथ बढ़ाने में दिक्कत हो रही है। भारत में कंपनी की ग्रोथ सिंगल डिजिट में रही है, जबकि इंडस्ट्री की एवरेज ग्रोथ 10 पर्सेंट है। सरकार ने पिछले कुछ समय में जरूरी दवाओं की कीमत घटाई है, जिससे जीएसके पर गहरी चोट पड़ी है।
बताया जा रहा है कि कंपनी की पहचान एंटी-इंफेक्टिव दवाओं की वजह से थी, लेकिन यह सेगमेंट अब उसके लिए बहुत फायदेमंद नहीं रह गया है क्योंकि भारतीय दवा उद्योग में क्रॉनिक दवाओं ने बढ़त बना ली है। इसलिए कंपनी ने इन सेगमेंट से निकलने का फैसला किया है। भारत का दवा उद्योग 5 अरब डॉलर का है। इसमें डायबिटीज और कार्डियोवस्कुलर दवाओं की बिक्री सबसे तेजी से बढ़ रही है। इनकी ग्रोथ मंथली बेसिस पर 15 पर्सेंट है। हालांकि, जीएसके जैसी कंपनियों के पास कभी भी क्रॉनिक दवाएं नहीं रही हैं। इसलिए भारत में उनकी ग्रोथ सुस्त रही है। जीएसके भारत में वैक्सीन सेगमेंट में दमदार पोर्टफोलियो रखने पर ध्यान दे रही है। कंपनी की एनुअल रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सेल्फ-पे वैक्सीन मार्केट 1,992 करोड़ रुपये का है और यह सालाना 16 पर्सेंट की रफ्तार से बढ़ रहा है। टॉप 20 वैक्सीन में से 7 जीएसके के पास हैं और उसका मार्केट शेयर 28 पर्सेंट है।