वाराणसी। मच्छरजनित जानलेवा रोग डेंगू की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बावजूद इसके इस घातक रोग की कोई मूल दवा अभी तक नहीं बनी हैै। हालांकि, भारत ने इस क्षेत्र में पहल की है। आइसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) व सीसीआरएएस (केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद) की संयुक्त प्रयास से जल्द ही दुनिया को डेंगू की दवा मिलेगी। परिषद ने टैबलेट के स्वरूप में दवा तैयार कर ली गई है। यही नहीं, परिषद के क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, बेलगांव (कर्नाटक) में डेंगू ग्रसित मरीजों पर किया ट्रायल सफल रहा है। अध्ययन में पाया गया कि उनके प्लेटलेट काउंट में वृद्धि व अन्य कारणों में भी सुधार हुआ है। डेंगू की यह दवा सबसे पहले काढ़े के रूप में विकसित की गई, जो सफल भी रहा। हालांकि, एलोपैथ ने डेंगू की इस दवा को काढ़े के रूप में इस्तेमाल करने से अस्वीकार कर दिया। इसके बाद इसे टैबलेट का स्वरूप दिया गया है। काढ़े और टैबलेट दोनों ही रूप में यह दवा कारगर सिद्ध हुई है।
शोध के दौरान इसको 35 मरीजों पर ट्रायल किया गया। यहां से सफलता मिलने के बाद पिछले साल 100 लोगों पर दिया जा रहा है। अब इसका कर्नाटक के ही कोलर मेडिकल कालेज में भी ट्रायल चल रहा है।   केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. केएस धीमान ने कहा कि डेंगू की दवा का हर स्तर पर ट्रायल होने के बाद अगले साल पूरी रिपोर्ट आ जाएगी। फिर एक-दो माह में सरकार की ओर से पूरे विश्व में जारी कर दिया जाएगा। खास बात है कि इस दवा का कोई कांप्लीकेशन भी नहीं है। यह दवा सात औषधियों से तैयार की गई है। वहीं, वैज्ञानिक सलाहकार समूह (सीसीआरएएस) के अध्यक्ष प्रो. आनंद चौधरी का कहना है कि यह बहुत ही गर्व की बात है कि भारत ने आयुर्वेद व एलोपैथ साथ मिलकर सभी देशों के डेंगू के (एनएस-1 के साथ ही आइजीएम एंटीबॉडी भी पाजिटिव) मरीजों के लिए दवा की खोज की है। यह दवा प्लेटलेट बढ़ाने के साथ ही डेंगू के अन्य प्रभाव को भी नष्ट कर रही है।