नई दिल्ली। एलर्जी और प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। सांस की बीमारी अस्थमा, घातक भी साबित होती है। प्रदूषण बढऩे से अस्थमा के बढऩे का भी खतरा है। यह देखा गया है कि इस बीमारी से पीडि़त अधिकतर लोग ताउम्र इनहेलर जैसी दवाओं को लेते रहते हैं और चाहकर भी उसे छोड़ नहीं पाते। सरिता विहार स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआइआइए) की निदेशक डॉ. तनुजा मनोज नेसारी ने दावा किया है कि आयुर्वेद से इस बीमारी को जड़ से ठीक किया जा सकता है। उन्होंने 23,000 लोगों पर अध्ययन किया है। इसमें पाया गया कि आयुर्वेद से अस्थमा की बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है। बशर्तें इलाज की पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाए। साथ ही खान-पान उसके अनुकूल हो। उन्होंने कहा कि 2012 से 2017 के बीच पुणे में यह अध्ययन किया गया था। इस दौरान आयुर्वेदिक पद्धति से अस्थमा के मरीजों का इलाज किया गया।
अध्ययन में यह देखा गया कि अस्थमा की बीमारी ठीक हो गई। उन्होंने कहा कि बीमारी ठीक होने के बाद अस्थमा की दवाएं दोबारा लेने की जरूरत नहीं पड़ती। डॉ. तनुजा मनोज नेसारी ने कहा कि इलाज की शुरुआत में मरीज को पंचकर्मा से गुजरना पड़ता है। इस दौरान मरीज के शरीर के अंदर मौजूद सभी हानिकारक तत्वों की सफाई हो जाती है। इसके अलावा मरीज को बेहतर खान-पान का इस्तेमाल करने व प्रदूषण से बचाने की सलाह दी जाती है। इलाज तभी कारगर होगा, जब इन नियमों का पूरा पालन किया जाए। 2.5 फीसद आबादी अस्थमा से पीडि़त है
गौरतलब है कि सांस की बीमारी, मौत के बड़े कारणों में से एक है। एक अनुमान के मुताबिक, देश में करीब 2.50 फीसद लोग अस्थमा की बीमारी से पीड़ित हैं। इससे पीडि़त ज्यादातर लोग एलोपैथिक इलाज कराते हैं। आपात स्थिति में ये दवाएं मरीजों की जान बचाने में तो कारगर साबित होती हैं, लेकिन मरीजों को हमेशा दवाएं लेनी पड़ती है। ऐसे में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का दावा अस्थमा पीडि़तों के लिए राहत की बात साबित हो सकती है।