नई दिल्ली। दिव्यांगों के लिए एम्स की आरक्षण नीति पर सवाल उठाने वाली तेजाब हमले का शिकार हुई युवती की याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की नर्सिग ऑफिसर की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी। न्यायमूर्ति सुरेश कैट ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए कहा कि एम्स को 31 अक्टूबर तक अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया गया। इस पर एम्स के वकील ने शपथ पत्र दाखिल करने के लिए समय मांगा। न्यायमूर्ति ने समय देते हुए मामले में अगली सुनवाई 8 जनवरी के लिए सूचीबद्ध की और भर्ती प्रक्रिया पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। याचिकाकर्ता यशमीन मंसूरी की याचिका के अनुसार पीडि़त युवती पर 2004 में तेजाब फेंक दिया गया था। याचिकाकर्ता ने नर्सिंग ऑफिसर की नियुक्ति के संबंध में एम्स द्वारा जारी एक नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। पीडि़ता का कहना है कि नौकरी का विज्ञापन असंवैधानिक है और 2016 में दिव्यांगों के लिए बने नियमों का उल्लंघन है। एम्स के विज्ञापन के अनुसार, कुल 32 पद दिव्यांगों के लिए आरक्षित हैं। जब उसने आवेदन के लिए और जानकारी जुटाई तो पता चला कि यह पद सिर्फ उन्हीं आवेदकों के लिए हैं, जिनके एक पैर नहीं हैं। इसके अलावा कोई अन्य दिव्यांग आवेदन देने के लिए योग्य नहीं है।