जगदलपुर (छग)। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की भारी लापरवाही का मामला सामने आया है। जिले में एचआईवी और इसके संक्रमण के बाद टीबी से पीडि़त मरीजों के लिए आई दवाइयां एक्सपायर हो गई है। सीजीएमएससी ने दो साल पहले मल्टी विटामिन की टैबलेट स्वास्थ्य विभाग के लिए दी थी। दवा से भरे ये कर्टन फिलहाल महारानी हॉस्पिटल परिसर स्थित क्षय नियंत्रण केंद्र में पड़े हैं।
गौरतलब है कि बस्तर जिले में 1200 से ज्यादा एचआईवी पीडि़त हैं। इन्हें पाइरोडॉक्सीन हाइड्रोकलोराइड के टैबलेट दिए जाते हैं। दो साल गुजरने के बाद भी यह दवा बांटी नहीं जा सकी है। अफसर और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते एक लाख से ज्यादा टैबलेट के इस्तेमाल की तारीख निकल चुकी है। एचआईवी पीडि़तों को देने के लिए सीजीएमएससी से दवा मंगवाई गई थी। पहले इसे एआरटी सेंटर में रखा गया था, लेकिन इस सेंटर के डिमरापाल मेडिकल कॉलेज के नए भवन में स्थानांतरित हो जाने के बाद इसे टीबी कार्यालय में रख दिया गया। यहां ये दवाइयां दफ्तर में ही पड़ी रह गई और इसके बॉक्स को खोला तक नहीं जा सका। वहीं, इन दवाइयों को लेकर दो विभाग आमने-सामने हो गए हैं। एक ओर नोडल अधिकारी का कहना हैं कि उन्होंने दवाई मंगवाई ही नहीं। टीबी नियंत्रण के नोडल अधिकारी डॉ, पीएल मेरिया ने कहा कि जो दवा एक्सपायरी हो गई है, वह मल्टीविटामिन टैबलेट हैं। हमने यह दवा नहीं मंगाई है। सीजीएमएससी की ओर से हमसे बिना पूछे ही यह दवा बड़े पैमाने पर यहां पर सप्लाई कर दी गई। उन्होंने कहा कि एक्सपायरी हो चुकी इस दवा को जल्द ही वापस किया जाएगा। दूसरी ओर, सीजीएमएससी के सहायक मैनेजर अवनीश यादव ने कहा कि मल्टी विटामिन की दवा स्वास्थ्य विभाग की मांग के बाद ही करीब दो साल पहले भेजी थी। यह दवा कितनी मात्रा में भेजी गई थी, इसकी जानकारी देना मुश्किल है। सीएमएचओ डॉ. देवेंद्र नाग ने कहा कि मल्टीविटामिन की यह दवा सीजीएमएमएससी से मंगाई गई थी। एचआईवी पीडि़तों को दवा समय-समय पर मांग के अनुसार मिले, इसके लिए इसे एआरटी सेंटर में भेजा गया था। एक लाख से अधिक ये टैबलेट क्यों नहीं बंट पाई, इस बारे में डॉट्स के अधिकारी से पूछताछ की जाएगी।