मुंबई। ल्यूपिन फार्मास्युटिकल्स के पुणे में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को यूरोपियन यूनियन से गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (ईयू जीएमपी) सर्टिफिकेट मिला है। इससे कंपनी की बेहतरीन मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया साबित हो गई है। ईयू जीएमपी मिलने के बाद ल्यूपिन इस प्लांट का इस्तेमाल बायोसिमिलर दवा एटेनरसेप्ट बनाने के लिए कर सकती है। ल्यूपिन के मैनेजिंग डायरेक्टर नीलेश गुप्ता ने बताया कि एटेनरसेप्ट एक मुश्किल दवा है। इसे बेहद आधुनिक प्लांट में ही बनाया जा सकता है। ईयू जीएमपी सर्टिफिकेट कंपनी के बायोटेक मैन्युफैक्चरिंग टीम के लिए बड़ी उपलब्धि है। यह अप्रूवल बिल्कुल सही समय पर मिला है। इसका मतलब यह है कि हम एटेनरसेप्ट बायोसिमिलर दवा बनाने और उसे यूरोप में बेचने के लिए तैयार हैं। ल्यूपिन बायोटेक के प्रेसिडेंट सायरस करकरिया ने बताया कि इस सर्टिफिकेशन से कंपनी यूरोप में एंट्री करने के एक कदम और करीब आ गई है। उन्होंने बताया कि अब ल्यूपिन को इस बायोसिमिलर दवा के अप्रूवल का इंतजार है। करकरिया ने कहा कि हमने पिछले कई वर्षों में अपने बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर में काफी निवेश किया है। एटेनरसेप्ट को हमने रेगुलेटेड मार्केट्स के लिए डिवेलप किया है और यह कंपनी की अपनी तरह की पहली दवा है। उन्होंने बताया कि ल्यूपिन की इनहाउस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट टीम ने इस दवा को डिवेलप किया है। कंपनी जल्द ही इसकी मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर सकती है।
एटेनरसेप्ट को यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और एशिया में बेचने के लिए मुंबई की दवा कंपनी ने 2008 में अमेरिका की मायलन के साथ हाथ मिलाया था। इस दवा का फेज 3 क्लीनिकल ट्रायल फरवरी 2018 में पूरा हुआ था और अब इसके लिए यूरोपियन यूनियन के ड्रग रेगुलेटरी से अप्रूवल का इंतजार है। एटेनरसेप्ट से कुछ ऑटोइम्यून बीमारियों का इलाज होता है। 2017 में इसके ब्रांडेड वर्जन की दुनिया भर में बिक्री 11.6 अरब डॉलर की रही थी।