नई दिल्ली। सरकार ने कैंसर के इलाज में काम आने वाली 42 तरह की दवाइयां 30 फीसदी तक सस्ती कर दी हैं, लेकिन अभी भी रैपर पर पुराने दाम ही लिखे मिल रहे हैं। ड्रग विभाग को आशंका है कि इसे पुरानी कीमतों पर ही मरीजों को बेचा जा रहा है। इस व्यवस्था को सही कराने के लिए विभाग ने कंपनियों को पत्र मेंं ये दवाएं वापस मंगाने की बात लिखी है। ड्रग विभाग का कहना है कि सरकार ने जो दाम तय किए हैं, उन्हीं पर दवाइयां बेची जा सकती है।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने ड्रग कंट्रोलर सत्यनारायण राठौर के निर्देश पर जांच की। ड्रग इंस्पेक्टरों ने स्वास्थ्य फार्मा, अपोलो मेडिकल स्टोर, तेलीपारा में कनिष्का फार्मा और नेशनल मेडिकल स्टोर पर यह गड़बड़ी मिली। विभाग के अनुसार इनमें चार दवाएं और उनकी कंपनियां प्रमुख रूप से लापरवाही बरत रही थी। इन कंपनियों को नोटिस देकर दवाइयां वापस मंगाने के निर्देश दिए गए हैं।
गौरतलब है कि कैंसर मरीजों को महंगी दवा से राहत दिलाने के लिए सरकार ने 355 ब्रांड की 42 तरह की दवाओं की कीमतों में 85 फीसदी तक कमी करने का फैसला लिया है। इस संबंध में रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है। दवाइयों की घटी हुई कीमत 8 मार्च से लागू हो चुकी है। नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने कैंसर रोग से लडऩे के लिए दवाओं की कीमतों पर कंट्रोल करने का निर्णय लिया है। कैंसर का इलाज काफी महंगा माना जाता है। कैंसर की कीमोथेरेपी और हार्मोनल ड्रग थेरेपी पर करीब लाखों रुपए तक का खर्च आता है। इसमें बड़ा हिस्सा दवाइयों के खर्च का होता है। इससे पहले 57 तरह की कैंसर दवाओं को एनपीपीए ने मूल्य नियंत्रण के दायरे में रखा था। अधिसूचना के अनुसार दवा बनाने या मार्केटिंग करने वाली कंपनियां इन दवाओं पर ट्रेड मार्जिन 30 फीसदी से ज्यादा नहीं रख सकती। सरकार ने यह भी तय किया है कि किसी भी दवा की एमआरपी साल में 10 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ाई जा सकती है। रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अनुसार 105 तरह के ब्रांड की कीमतों में 85 फीसदी की कमी आ जाएगी। बिलासपुर के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर राजेश क्षत्रिय का कहना है कि कैंसर की दवाएं सस्ती हो चुकी हंै। फिर भी कई कंपनियां रैपर में इसके पुराने दाम पर इसकी सप्लाई कर रही है। ऐसी चार कंपनियों को अपनी दवाएं वापस करने के निर्देश दिए गए हैं। ये गड़बड़ी शहर के कुछ मेडिकल स्टोर में पकड़ाई है।