नई दिल्ली। देश के प्रमुख रक्षा शोध संगठन ‘डीआरडीओ’ की ओर से विकसित की गई सफेद दाग की हर्बल दवा ‘ल्यूकोस्किन’ मरीजों के लिए रामबाण साबित हो रही है। इस दवा के आविष्कारक वैज्ञानिक डॉ. हेमंत पांडे के अनुसार इस समय विटिलिगो के कई तरह के इलाज हैं। इनमें एलोपैथिक दवाएं, ऑपरेशन और मूल उपचार के साथ दी जाने वाली अजंग्टिव थेरेपी शामिल है लेकिन इस बीमारी के निदान में इनमें से किसी भी उपाय के संतोषजनक नतीजे सामने नहीं आ रहे हैं। साथ ही ये इलाज बहुत महंगे हैं या इनसे साइड इफेक्ट भी होते हैं। हमने इस बीमारी के कारणों पर ध्यान केंद्रित किया और सफेद दाग या विटिलिगो के प्रबंधन का एक व्यापक फॉर्मूला विकसित किया। डॉ. पांडे ने बताया कि हमने हिमालय में पाई जाने वाली जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया। ल्यूकोस्किन मलहम और मुंह से ली जाने वाली ओरल लिक्विड दोनों ही स्वरूप में उपलब्ध है। मलहम में सात जड़ी-बूटियों का उपयोग किया गया है। इनमें स्किन फोटो सेंसिटाइजर, फोड़े-फूंसी रोधक, जलन और खुजली रोधक, रोगाणु रोधक, जख्म भरने वाले और कॉपर सप्लिमेंटिंग तत्व शामिल हैं। डॉ. पांडे के अनुसार, दुनियाभर में 1 से 2 फीसदी लोगों को ही सफेद दाग होता है लेकिन भारत में यह 4 से 5 फीसदी लोगों को हो रहा है।