चितौडग़ढ़ (राजस्थान)। जयपुर स्थित फार्मा कंपनी डयुफुल लेबोरेट्री के मालिक  डा. पुष्प कुमार मेगी व बृजमोहन शर्मा मेन्यूफैक्चरिंग कैमिस्ट को अमानक दवा के निर्माण व बिक्री करने के आरोप में अदालत ने तीन साल के कठोर कारावास और 50 हजार रुपए आर्थिक दंड की सजा सुनाई है। आर्थिक जुर्माना अदा न कर पाने की स्थिति में दोषी को छह माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना पड़ेगा। जानकारी अनुसार औषधि निरीक्षक चितौडग़ढ़ च्रदभूषण गुप्त ने 17 दिसंबर, 1987 को स्थानीय महावीर मेडिकल स्टोर पर बिक्री के लिए रखी दवा जेन्टामाइसिन इंजेक्शन का सैंपल लिया। इसे जांच के लिए लैब में भेजा गया, जहां इसे मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया। इस दवा की निर्माता कंपनी मै. डयुफुल लेबोरेट्री जयपुर ने उक्त बैच नंबर के 500 वॉयल बेचना स्वीकार किया। उक्त फर्म को बाजार से सभी दवाएं वापस मंगाने का नोटिस भेजा गया किन्तु संबंधित फर्म ने इसमें सहयोग नहीं किया। वहीं बाजार में बेची गई वॉयल संबंधी रिकार्ड भी दुरुस्त नहीं पाया गया। इस पर अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट  निम्बाहेड़ा, जिला चितौडग़ढ़ (राजस्थान) ने औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अभियुक्त मै. डयुफुल लेबोरेट्री जयपुर के मालिक डा. पुष्प कुमार मेगी व बृजमोहन शर्मा मेन्यूफैक्चरिंग कैमिस्ट, डयुफुल लेबोरेट्री दोनों को तीन साल के कठोर कारावास और 50 हजार रुपए आर्थिक दंड की सजा सुनाई है। मामले में चीफ एनालिस्ट एन.सी.दास फरार है। जिस पर कार्यवाही के निर्देश दिए है।