नई दिल्ली: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि चिकित्सकों को जेनेरिक और सस्ती दवाइयां लिखने संबंधी सरकार के निर्देश तब ज्यादा सार्थक ढंग से फलीभूत होंगे जब एक दवा, एक कंपनी, एक दाम की नीति बनेगी। दरअसल, आईएमए ने यह मांग महीने भर चलने वाले उस अभियान को हिस्सा बनाते हुए उठाई जिसमें चिकित्सा जगत से जुड़ी विसंगतियां दूर करने को लेकर मंथन हो रहा है। छह जून को संपन्न होने वाले अभियान को दिल्ली चलो का नारा दिया है।
आईएमए अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल के मुताबिक, सरकार ने कंपनियों को एक रसायनतीन अलग दामों पर बेचने की अनुमति दे रखी है। जैसे जेनेरिक, जेनेरिक-ट्रेड और जेनेरिक-ब्रांच। ऐसे में एक दवा, एक कंपनी और एक दाम की नीति होना जरूरी हो गया है। सरकार एक ही कंपनी को अलग-अलग दामों पर दवा बेचने का लाइसेंस दे रही है जो ठीक नहीं है। ऐसे में यदि डॉक्टरों पर दबाव बनाकर सस्ती दवा का सपना देखा जा रहा है तो वह बेमानी है। आईएमए ने यह भी साफ किया कि दवाइयों को मुफ्त दाम की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि इन्हें खरीदने का निर्णय उपभोक्ता नहीं लेता बल्कि डॉक्टर लेते हैं और कई बार तो केमिस्ट के पास यह अधिकार होता। जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देनी है तो दवाओं के दाम को इच्छाशक्ति के साथ नियंत्रण में लाना जरूरी है।