अम्बाला, जालंधर (बृजेन्द्र मल्होत्रा)। पंजाब में दवा की दुकानों के वजूद पर अनजाने में हुई छोटी सी चूक व नए लाइसेंसों पर लाइसेंस रद्द की तलवार का अचूक प्रहार लगता है। इस कारण दवा व्यवसाइयों के व्यापार पर तालाबंदी की विभागीय मुहर लगाई जाती है। ऐसे में वर्षों से मेहनत के चलते विभाग पलभर में पानी फेर देता है जिससे दवा व्यपारी व्यापार छिन जाने पर परिवार के भरण पोषण के लिए गलत दिशा में कदम उठाने पर विवश हो जाते हैं, जो समाज के लिए घातक सिद्ध होता है ।
पीसीए की मौजूदा टीम ने कई बार गुहार लगाई कि विभाग इस बारे दवा व्यवसाइयों की जायज मांग को अपने विवेक से हल करे परन्तु कोई हल नहीं निकल पा रहा था। पूर्व सेहत मंत्री ब्रह्म महेंद्र ने पीसीए पदाधिकारियों की मांगों को धैर्य से सुनकर एक बैठक की प्लानिंग की थी परन्तु मंत्रिमंडल के फेरबदल के साथ सब धूमिल लगने लगा। सभी प्रयास नए सिरे से शुरू हुए। नए सेहत मंत्री बलबीर सिंह संधू से कई बार पत्राचार व बैठकें भी हुई, जिनके माध्यम से सेहत मंत्री भी दवा व्यवसाइयों की व्यापारिक अस्थिरता के कारण विभाग की तलवार के भयभीत होने का ठोस कारण जान सके। इसका सार्थक हल निकालने के पक्ष में 18 नवम्बर 2019 को चंडीगढ़ कार्यालय में पीसीए, औषधि प्रशासन पंजाब, डायरेक्टर हेल्थ सर्विसिज पंजाब, प्रिंसिपल सेके्रटरी हेल्थ पंजाब, को इस बैठक में मौजूद रहने को ताकीद किया तथा अपनी उपस्थिति के बारे भी आश्वस्त किया। बता दें कि पीसीए की मांग थी कि सेहत मंत्री इस बैठक में अवश्य मौजूद रहें ताकि बैठक का सार्थक हल निकल सके। इस बैठक के बाद राज्यभर के दवा व्यवसाई राहत की बड़ी उमीदें लगाए बैठे हैं क्योंकि सेहत मंत्री की तरफ से इस बैठक में स्वयं की मौजूदगी की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है।