नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण से पैदा हुए हालात पर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हषर्वर्धन ने कहा है कि बेशक प्रतिदिन संक्रमितों का ग्राफ बढ़ रहा है। मौतों के आंकड़े दिल दहलाने वाले हैं। इसके बावजूद भारत ने इस दिशा में अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। देश में राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन घोषित किया गया है। सरकार देश के नागरिकों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था कर चुकी है। इसके अलावा आम या खास हर नागरिक को स्वस्थ जीवन देने के लिए सरकार ने योजनाएं बनाई हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदशर्न में हमने कोविड-19 की शुरूआत के समय से जो कदम उठाए वे आवश्यक थे और इनके सही परिणाम मिलने अपेक्षित थे। हमने देश की जनता के हित में प्रयास किए और ऐसा करना हमारा कर्तव्य था। हमने उभरती स्थिति को देखते हुए समयानुकूल निर्णय लिए हैं, इन निर्णयों के कार्यान्वयन पर पैनी नजर रखी है और संक्रमण के बारे में लोगों को पूरी तरह जागरूक बनाया है व बचाव के उपाय समझाए हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अंतर्गत भारतीय विषाणु विज्ञान संस्थान की देखरेख में 121 लैबों में जांच की जा रही हैं। इनमें प्रतिदिन जांच की क्षमता 12 हजार नमूनों की है। 44 निजी प्रयोगशालाओं को जांच के लिए पंजीकृत किया गया है। नमूनों के संग्रहण के लिए लगभग 16 हजार केंद्र हैं। 26 मार्च तक 27 हजार नमूनों की जांच कर ली गई थी। राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे ने किट बनाने वाले 15 निर्माताओं में से 3 को पीसीआर आधारित किट और 1 को एनटीबॉडी डिटेक्शन किट बनाने की मंजूरी दी है। यदि और आवश्यक होगा तो प्रयोगशालाओं की संख्या अधिक की जाएगी। हमारा उद्देश्य भारत के हर कोने में रहने वाले नागरिकों की कोविड-19 के दुष्प्रभावों से रक्षा करना है। क्वारेंटीन केंद्रों की कार्यप्रणाली श्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं के अनुसार संचालित की जा रही है। इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारी निगरानी रख रहे हैं। इसी कारण रोगी स्वस्थ होकर अपने घरों को जा रहे हैं। संबंधित राज्यों ने भी क्वारेंटीन केंद्रों के प्रबंधन और रखरखाव में उल्लेखनीय सहयोग दिया है । कोविड-19 के प्रति जागरूकता विकसित करने का काम 8 जनवरी, 2020 से ही शुरू हो गया था। इसके लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से पहले दिन से ही जागरूकता और बचाव की जानकारी दी जा रही है। हमने कुल 2318 लोगों को विदेशों से निकाला, जिनमें से 48 विदेशी हैं। हमें चीन के वुहान से 766 लोगों, जापान के तट पर डायमंड क्वीन क्रूज जहाज से 124 लोगों, ईरान से 1232 लोगों, इटली से 83 और मलयेशिया से 113 लोगों को भारत सुरक्षित लाने में सफलता मिली। भारत लाए गए लोगों में अन्य देशों के नागरिक भी हैं। हमने ईरान में अपनी एक प्रतिष्ठित प्रयोगशाला स्थापित की ताकि वहां भारतीय लोगों की जांच की जा सके। मानवीय सहायता के रूप में 50 टन दवाएं और उपचार सामग्री उपहार के रूप में चीन को भेजी। हमारे प्रयासों से जितने भारतीय लौटकर देश के विभिन्न स्थानों पर पहुंचे, उनके क्वारंटीन की विशेष व्यवस्था की गई और निश्चित समय के बाद उनके स्वस्थ होने पर उन्हें घर जाने दिया गया। यह भी एक बहुत बड़ा दायित्व था, जिसे हमारी सरकार ने बखूबी निभाया। हमारे डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मिंयों के कोविड-19 पर काबू पाने के उल्लेखनीय प्रयास किए हैं। हमारे डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मिंयों की प्रतिभा, निष्ठा और योग्यता अतुलनीय है। उन्होंने कोरोना वायरस की स्थिति का मुकाबला करते हुए इस संक्रमण को आंधी नहीं बनने दिया। इसलिए देश के करोड़ों लोग सुरक्षित हैं। समूचे देश को उन पर नाज है। हमारे सारे डाक्टर और स्वास्थ्यकर्मी पूरी तरह प्रशिक्षित हैं और उनकी संख्या पर्याप्त है। भविष्य में यदि और डाक्टरों की आवश्यकता हुई तो उनकी नियुक्ति पर तेजी से कार्रवाई की जाएगी।
हमें विदेशों तथा विशेष रूप से सार्क के अपने पड़ोसी देशों में कोरोना वायरस से होने वाले नुकसान की भी चिंता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सार्क देशों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया। उन्होंने इन देशों की जनता को विश्वास दिलाया कि भारत इस संकट में उनके साथ खड़ा है। मोदी जी ने सार्क देशों के लिए विशेष कोरोना वायरस राहत कोष के गठन की घोषणा की जिसका सभी सदस्य देशों ने स्वागत किया। सरकार जन औषधि केंद्रों में मास्क और सेनिटाइजर की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के भरसक प्रयास कर रही है। सरकार ने हर रोग की दवाओं की सूची तय की है और सूची में शामिल सभी दवाएं जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध रहती हैं। यदि कोई दवा कम आपूर्ति के कारण उपलब्ध नहीं होती, तो उसकी आपूर्ति उसी दिन या अगले दिन सुनिश्चित की जाती है। इन केंद्रों में मिल रही दवाओं की कीमत बाजार मूल्य से 90 प्रतिशत तक कम होती है। दवाएं आसानी से सभी रोगियों को मिल रही हैं। आवश्यक दवाओं की भी कोई कमी नहीं है। दवाओं की गुणवत्ता उत्तम है क्योंकि सरकार मानकों का पूरा ध्यान रखती है। सरकार किसी भी प्रकार की शिकायत और आरोपों की कायम व्यवस्था के अंतर्गत जांच करती है। सरकार ने यूनिफार्म कोड ऑफ फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसिस (यूसीपीएमपी) को लागू करने की समीक्षा के लिए फार्मास्युटिकल और मेडिकल डिवाइस एसोसिएशन के साथ बैठकें की हैं। लोगों को कम से कम दाम पर दवाएं और चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराने के प्रधानमंत्री मोदी जी के संकल्प से लाखों गरीबों को कम कीमत पर उपचार कराने का अवसर मिला है। हमारी सरकार चिकित्सकों और रोगियों के अनुपात को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित अनुपात के अनुरूप बनाने के अद्वितीय प्रयास कर रही है। ये प्रयास जारी हैं और शीघ्र इस अनुपात में सराहनीय सुधार आएगा।