नई दिल्ली। निजामुद्दीन से निकाले गए तबलीगी जमात के लोगों को एक क्वारेंटीन सेंटर में भर्ती कराया गया है, जहां उन्होंने डॉक्टर्स और अन्य कर्मचारियों के साथ दुवर््यवहार किया और यहां तक कि उनके ऊपर थूका भी। ये लोग अपनी जांच और इलाज में डॉक्टरों का बिल्कुल भी सहयोग नहीं कर रहे हैं। उत्तर रेलवे के सीपीआरओ दीपक कुमार ने बताया कि तबलीगी जमात, निजामुद्दीन से 167 लोगों को मंगलवार रात 9:40 मिनट पर 5 बसों में तुगलकाबाद क्वारंटाइन सेंटर ले जाया गया था। वहां 97 लोगों को डीजल शेड ट्रेनिंग स्कूल हॉस्टल में और बाकी 70 को बारपीएफ बैरक क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया। ये लोग बुधवार को सुबह से ही अनियंत्रित थे और खाने पीने की अनुचित मांग कर रहे थे। उन्होंने क्वारंटाइन सेंटर के कर्मचारियों के साथ दुव्र्यवहार किया। इतना ही नहीं, वहां काम करने वाले लोगों और डॉक्टर्स पर थूकना भी शुरू कर दिया। कोरोना वायरस को फैलने में थूक बड़ी भूमिका अदा करता है। वे हॉस्टल बिल्डिंग में जहां-तहां घूम रहे थे। ये लोग वहां बिल्कुल भी सहयोग नहीं कर रहे हैं। दिल्ली में बुधवार को सामने आए 32 नए मरीजों में 29 इसी मरकज के हैं। देशभर में पहुंचे इन लोगों में अब तक 300 से ज्यादा महामारी के मरीज मिले हैं। इनमें से 110 तो बुधवार को तमिलनाडु में सामने आए। यहां उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच तबलीगी जमात पर संक्रमण को बढ़ाने वाले प्रमुख स्रोत के रूप में सामने आया है। इसमें शामिल हुए सैकड़ों लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है, जो देश के विभिन्न हिस्सों के रहने वाले हैं। जमात के कार्यक्रम में कई विदेशी भी शामिल हुए थे। संक्रमित लोगों ने देश के विभिन्न हिस्सों में कई जगह यात्राएं की हैं, जिसके मद्देनजर स्थिति गंभीर होने की आशंका जताई जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी देश में कोरोना के मामलों में अचानक हुई वृद्धि के लिए जमात को जिम्मेदार ठहरा चुका है। दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, देशभर में जमात के लोगों को युद्धस्तर पर तलाशा जा रहा है। निजामुद्दीन में मरकज की इमारत को खाली कराने का 36 घंटे का ऑपरेशन बुधवार सुबह पूरा हुआ। दिल्ली सरकार ने कहा कि मरकज से 2,361 लोग निकाले गए, जिनमें 766 को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।