नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के कारण पैदा हुई मुश्किलों के चलते सरकार ने हर तरह की मेडिकल डिवाइस को दवा की कैटिगरी में शामिल करने का फैसला लिया है। इससे रेगुलेशन और इनकी कीमतों पर लगाम लगा पाने में आसानी होगी। हेल्थ वर्कर लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। देश में इस समय करीब पांच हजार तरह की मेडिकल डिवाइसेस का प्रयोग हो रहा है। इस नियम से अब सभी डिवाइसेस पर ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 के प्रावधान लागू होंगे। इसके तहत सरकार किसी भी डिवाइस की कीमत की कैपिंग कर सकती है। वहीं, इसे साल में 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकेगा। इस बीच, नैशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने राज्यों को पत्र लिखकर मेडिकल डिवाइसेस की कीमतों और उपलब्धता पर नजर रखने को कहा है। इस समय निजी सुरक्षा उपकरणों, मास्क और कई मेडिकल डिवाइसेस की मांग देश में बढ़ गई है। आगे की स्थिति के लिए तैयार रहने के लिए अथॉरिटी ने सभी राज्यों से दवा और मेडिकल डिवाइसेस कंपनियों की उत्पादन क्षमता और स्टॉक के बारे में जानकारी देने को भी कहा है।