नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एम्स में इलाज के लिये आने वाले गैर कोविड मरीजों को लॉकडाउन की वजह से एम्स की फार्मेसी से दवा उपलब्ध नहीं कराये जाने के मामले में मंगलवार को केन्द्र से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से मामले की सुनवाई की और केन्द्र तथा एम्स को नोटिस जारी किये । इस याचिका में अनुरोध किया गया है कि लॉकडाउन के दौरान इन मरीजों का उपचार जारी रखा जाये।
याचिका में कहा गया है कि एम्स में इलाज के लिये दिल्ली आने वाले ये मरीज इस समय रैन बसेरों में ठहरे हुए हैं। याचिका के अनुसार, इन मरीजों को पहले इलाज मिलता था लेकिन आरोप है कि अब यह फार्मेसी काम नहीं कर रही है। सुनवाई के दौरान एम्स ने कहा कि, उसकी फार्मेसी काम कर रही है लेकिन यह बहुत ही सीमित है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से उसका अधिकतर स्टाफ काम पर नहीं आ पा रहा है। हालांकि, एम्स ने कहा कि कैंसर और एड्स के मरीजों को फार्मेसी से दवायें दी जा रही हैं।
साथ ही उसने याचिका में उठाये गये बिन्दुओं का जवाब देने के लिये कुछ समय भी मांगा। पीठ ने इसके बाद यह मामला पहले से ही लंबित एक अन्य याचिका के साथ संलग्न करके इसे आठ मई के लिये सूचीबद्ध कर दिया। दूसरा मामला भी एम्स में इलाज के लिये बाहर से आने वाले मरीजों ने ही दायर कर रखा है। इसमें भी यही आरोप है कि कोविड-19 महामारी के बाद से अस्पताल में उनका उपचार नहीं हो रहा है। याचिका में इन मरीजों का नि:शुल्क इलाज करने का अनुरोध किया गया है।