मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई कोरोनावायरस का मुख्य केंद्र बनकर उभरी है। ऐसे में यहां स्वास्थ्य सेवा से जुड़े बुनियादी ढांचे को कम समय में तैयार करना बेहद जरूरी हो गया है। यहां कोविड-19 से जुड़े आइसोलेशन वार्ड और आईसीयू की भारी कमी देखी जा रही है। शहर के डॉक्टर भी मरीजों को जल्दी ठीक करने के लिए नए और प्रायोगिक उपचार प्रोटोकॉल पर अमल करने की कोशिश कर रहे हैं। नगर प्रशासन कोविड-19 के लिए खासतौर पर बेड और आईसीयू बेड तैयार करने की कोशिश में जुटा है। चीन में कोरोनावायरस का केंद्र बने वुहान की तर्ज पर ही अब मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) ने बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) के वाणिज्यिक केंद्र में 1,000 बेड वाला अस्थायी अस्पताल तैयार करने पर काम शुरू कर दिया है। बीकेसी में विशाल प्रदर्शनी स्थल पर थोड़े कम गंभीर मरीजों के लिए आइसोलेशन की सुविधा दी जाएगी। इसके एक पखवाड़े में तैयार होने की उम्मीद है। भविष्य में जरूरत पडऩे पर इस नए अस्थायी केंद्र में बेड की तादाद बढ़ाकर 5,000 तक की जा सकती है।
पिछले हफ्ते इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) इस अस्पताल का संचालन करेगी जहां अन्य चीजों के अलावा ऑक्सीजन सुविधाएं, पैथोलॉजिकल प्रयोगशालाएं होंगी। शहर के डॉक्टर उपचार के सभी संभव तरीकों पर अपने हाथ आजमा रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीज जल्दी ठीक हो जाएं। यहां मरीजों के इलाज की देखरेख करने वाले 9 प्रमुख डॉक्टरों को मिलाकर एक कार्यबल बनाया गया है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों पर जोड़ों में दर्द से लेकर त्वचा की बीमारियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जैविक दवाओं का प्रयोग करने से लेकर अब डॉक्टरों ने एक नए उपचार प्रोटोकॉल को अपनाने की कोशिश करने का फैसला किया है।