अम्बाला, बृजेन्द्र मल्होत्रा। कोरोना संक्रमण का कहर चरम पर और बाजार सेनेटाइजरों से अटे पड़े हैं। चाहे कोई मोबाइल शॉप हो/ जूते /कपड़े/करियाना स्टोर/या फेरी वाले जिन्हें सेनेटाइजर की शुद्धता के बारे शून्य ज्ञान होता है, वे भी इसे बेच रहे हैं। वे नहीं जानते कि सेनेटाइजर उपलब्ध करवाने वाला उचित गुणवत्ता वाला उत्पाद उन्हें पहुंचा भी रहा है या वे जाने-अनजाने निम्न स्तर का उत्पाद तो नहीं बेच रहे? इस बारे जब औषधि प्रशासन हरियाणा से बात की तो उन्होंने बताया कि पूरे राज्य में करीब 90 फीसदी सेनेटाइजर आयुर्वेदा लवणों वाले बिक रहे हैं। इनकी निर्माण अनुमति आयुष विभाग देता है और जांच परख भी आयुष विभाग के अधिकार क्षेत्र में ही आती है। अत: आयुष विभाग ही ठोस कार्यवाही करने में सक्षम है। यदि एफ़ डीए के डीसीओ मौके पर चले भी जाएं तो इन आयुष लवणों वाले सेनेटाइजर की सेम्पलिंग स्वतंत्र रूप से करने के लिए अधिकृत नहीं होते। यदि आयुष विभाग एफ़ डीए से लिखित रूप में सहायता मांगे तो एफड़ीए के डीसीओ ऐसे अवैध सेनेटाइजर विक्रेताओं पर शिकंजा कस सकते हैं। एफड़ीए के पास अपना ही फील्ड स्टाफ कम है। प्रत्येक पर कार्य की अधिकता का दोहरा टोकरा रखा हुआ है और आयुष विभाग के पास हर जिले में उचित मात्रा में फील्ड फोर्स मौजूद भी है तो क्यों अपने काम के प्रति कोताही बरतते हैं ? इस बारे अम्बाला के आयुष अधिकारी से लेकर पंचकूला मुख्यालय तक के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर अपना या विभाग का पक्ष रखने के स्थान पर स्वयं को बैठक या अन्य अधिकारी के साथ बैठक में व्यस्त होने की बात कह कन्नी काटते रहे। कोरोना वायरस को अत्यधिक बढ़ जाने के पीछे आयुष विभाग का भी पूर्ण योगदान से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि जिसे सेनेटाइजर समझ कर अपने हाथों को सेनेटाइज़ किया जा रहा है, उसमें अल्कोहल की मात्रा पूर्ण है या नहीं, वह तो जांच के पश्चात ही सही लिखा जा सकता है और सेनेटाइजरों के उचित रखरखाव के बारे अधूरे ज्ञान से इन्हें सडक़ पर सीधे धूप में रखने से जहाँ अधिक तापमान के कारण किसी भी हादसे से सामना होने का भय बना रहता है, वहीं अल्कोहल के वाष्पीकरण के कारण सेनेटाइजर की शक्ति क्षीण हो जाती है तो वायरस कैसे समाप्त होगा?