लखनऊ। कोरोना किट की खरीद में हुए घोटाले की जांच का मामला गरमा गया है। बता दें कि ग्राम पंचायतों में पल्स ऑक्सीमीटर और इन्फ्रारेड थर्मामीटर की खरीद में हुई अनियमितता की जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर एसआईटी गठित कर जांच शुरू कर दी गई है। विभाग में जिला पंचायतराज अधिकारियों के निलंबन को लेकर आक्रोश भी बढ़ रहा है। गौरतलब है कि सोनभद्र के प्रभारी जिला पंचायत राज अधिकारी धनंजय जायसवाल के निलम्बन का है। पंचायतीराज निदेशक किंजल सिंह ने आदेश जारी करके जायसवाल को निलंबित कर दिया है। आारोप है कि जायसवाल ने सहायक विकास अधिकारी पंचायत के जरिये दबाव बनाकर 312 ग्राम पंचायतों में पल्स आक्सीमीटर और थर्मल थर्मल स्कैनर यानि थर्मामीटर खरीदवाकर भुगतान करवाया गया। इसमें 294 ग्राम पंचायतों को 6000 रुपये की दर से और 7 ग्राम पंचायतों में 6000 रुपये अधिक की दर पर भुगतान करवाया गया जबकि 10 ग्राम पंचायतों को 6000 रुपये से कम की दर पर भुगवान करवाये गये। इस तरह से जायसवाल द्वारा उ.प्र. सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के विपरीत अनैतिक कार्य किये गये। निलंबन आदेश में यह भी कहा गया कि जायसवाल ने राजपत्रित अधिकारी न होते हुए नियम विरूद्ध ग्राम पंचायतों के कार्यों की वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृतियां प्रदान की गयीं। उधर, श्री जायसवाल ने अपने छह पृष्ठों के स्पष्टीकरण में इन सभी आरोपों का बिन्दुवार जवाब देते हुए इन आरोपों को स्वीकार करने से इनकार किया है। उनका कहना है कि इन उपकरणों की खरीद में उनकी कोई भूमिका नहीं है। यह उपकरण कई फर्मों से विभिन्न दरों पर ग्राम पंचायतों द्वारा खरीदे गये। उन पर लगे आरोप निराधार व तथ्यहीन हैं।