झांसी। कोरोना काल में झांसी से ललितपुर तक लोग बड़ी तादाद में नकली दवाओं, इंजेक्शन और घटिया सैनिटाइजर का उपयोग करते रहे। यही कारण है कि सेहत सुधारने के लिए खाई गईं कई दवाएं बेअसर साबित हुईं। इस दौरान कई लोगों की मौत भी हुई। झांसी में कोरोना से मौत का आंकड़ा सरकार तक के लिए चुनौती बन गया था। औषधि प्रशासन विभाग द्वारा संबंधित कंपनियों को बाजार से दवाएं वापस मंगाने के लिए पत्र लिख दिया गया है। साथ ही, ड्रग कंट्रोलर और जिन प्रदेशों में कपनियां स्थापित हैं वहां के औषधि विभाग को भी इस संबंध में सूचित कर दिया गया है। वहीं, ललितपुर में जिन छह कंपनियों के नमूने फेल हुए हैं उनमें पशुओं को लगने वाला एसविल इंजेक्शन अधोमानक मिला है।

मॉल्टेक पी में पैरासीटामोल की मात्रा कम मिली है। पशुओं को ही लगने वाले सिप्रोफ्लोक्सासिन भी अधोमानक पाया गया है। सेफनरटाज एंटीबॉयोटिक में सिफेक्सिम की मात्रा कम पाई गई है। एंटीबायोटिक जेनमार्क ओजेड और कीटोकोनाजॉल क्रीम भी घटिया मिली है। पशुओं को लगने वाले गायनोफ्लॉक्स इंजेक्शन भी घटिया है। पशुओं को लगने वाला एंटीबायोटिक टीवेट इंजेक्शन अधोमानक मिला। जानवरों को लगने वाला डिक्लोसेन पी इंजेक्शन भी अधोमानक पाया गया है। कोविड दौर में कंपनियों ने घटिया सैनिटाइजर बाजार में उतारकर खूब कमाई कर ली। औषधि निरीक्षण ने बताया कि दो कंपनियों के हैंड सैनिटाइजर भी नकली पाए गए हैं।

इसमें वायरस मारने के लिए उपयोग होने वाला पदार्थ ही नहीं था। इससे स्पष्ट है कि सैनिटाइजर से कीटाणु तो मरे नहीं। जनता पैसा खर्च करके पानी जैसा सैनिटाइजर खरीदती रही। औषधि प्रशासन विभाग की छापेमारी में पहले भी कई दवाएं, इंजेक्शन पकड़े जाते रहे हैं लेकिन इस बार बड़े पैमाने पर लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वाली कंपनियों के लिए कार्रवाई करने जा रही है। औषधि निरीक्षक डॉ. उमेश भारती ने बताया कि झांसी में जिन 16 कंपनियों के नमूने फेल हुए हैं, उसमें एंटीबायोटिक हेलीसेफ 200 शामिल है, जो घटिया मिली है। इसमें सिफेक्सिम की मात्रा कम मिली है। एंटीबायोटिक हेलमॉक्स 500 में एमॉक्सीस्लिम कम मिला है। इसी तरह टेसीसेफ 200, हेलसेफ-एजेड और हेलसेफ-ओ एंटीबायोटिक में भी सिफेक्सिम की मात्रा कम मिली है। औषधि निरीक्षक के अनुसार सेमक्लेव 625 एंटीबायोटिक में भी सेलवनिक एसिड बहुत कम मात्रा में पाया गया है।