नई दिल्ली। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना मौजूदा समय में हजारों लोगों के लिए रोजगार का साधन बन गई है। इसके जरिए हजारों युवा अपने ही शहर या कस्बे में रहकर हर महीने बेहतर इनकम कर रहे हैं। यह योजना सरकार की महात्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल है, जिसका उद्देश्य लोगों को रोजगार देने के अलावा घर घर तक क्वालिटी और सस्ती दवाएं पहुंचाना है। इसी वजह से सरकार किसी इनडिविजुअल को जनऔषधि केंद्र खोलने के लिए कई तरह के प्रोत्साहन भी दे रही है।

सरकारी दवा की दुकान खोलने पर लोगों के मुनाफे का खास ध्यान रखा जा रहा है। यहां तक कि दु​कान खोलने में आने वाला बड़ा खर्च भी सरकार इंसेंटिव के जरिए वापस कर दे रही है। इसके नियम और शर्त भी आसान हैं। आइए आपको बताते है जनऔषधि केंद्र खालेने के लिए जरूरी गाइडलाइंस। दरअसल इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों (पीएमबीजेके) से दवाओं की बिक्री भी 60 फीसद बढ़ी है। इस बात की जानकारी हाल ही में उर्वरक और रसायन मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने दी थी।

इस योजना के तहत 29 जनवरी 2021 तक 519.34 करोड़ रुपये का कारोबार किया गया, जबकि पूरे साल में ही 500 करोड़ की दवाएं बेचने का लक्ष्य रखा गया था। यहां तक कि लॉकडाउन में भी यह योजना बेहद कारगर साबित हुई। दरअसल अगर कोई इनडिविजुअल दवा की दुकान खोलता है तो उसके पास डी फार्मा या बी फार्मा की डिग्री होनी चाहिए या उसने किसी डी फार्मा या बी फार्मा डिग्री होल्डर को रोजगार दे रखा हो। आवेदन करते समय इस डिग्री को लेकर उसे प्रूफ सबमिट करना होगा। दरअसल गाइडलाइंस में कहा गया है कि जनऔघधि केंद्र खोलने पर दवा की बिक्री पर 20 फीसदी मार्जिन दुकान चलाने वालों को दिया जाएगा। इसके अलावा नॉर्मल और स्पेशल इंसेंटिव का भी प्रावधान है।

नॉर्मल इंसेंटिव के रूप में सरकार दवा की दुकरान खोलने में आने वाले खर्च को वापस कर देती है। इसमें दुकान में फर्नीचर पर आने वाले 1.5 लाख रुपये तक का खर्च और कंप्यूटर व फ्रिज आदि रखने में आने वाला 50 हजार रुपये तक का खर्च शामिल है। इसे मंथली बेसिस पर अधिकतम 15 हजार रुपये तक तक तब वापस किया जाता है, जबतक कि 2 लाख की रकम पूरी न हो जाए। यह इंसेंटिव मंथली परचेज का 15 फीसदी या 15000 में जो अधिक हो, दिया जाता है। गौरतलब है कि स्पेशल इंसेंटिव यह महिला कारोबारी, दिव्यांग, SC, ST को जनऔषधि केंद्र खोलने पर दिया जाता है। या नॉर्थ ईस्ट या नक्सल प्रभावित इलाकों में सेंटर खोलने के लिए है।

दरअसल इसे खोलने के लिए आपके पास 120 वर्ग फुट की दुकान होनी चाहिए। साथ ही अगर कोई आर्गनाइजेशन या NGO जनऔषधि केंद्र खोलना चाहता है तो उसके लिए भी जरूरी है कि वह किसी डी फार्मा या बी फार्मा डिग्री होल्डर को रोजगार दे रखा हो। अस्पतालों में भी कोई योग्य NGOs/चैरिटेबल आर्गनाइजेशन जनऔषधि केंद्र खोल सकता है। गौरतलब है कि देश में मौजूदा समय में करीब 7000 जनऔषधि केंद्र चलाए जा रहे हैं। जबकि सरकार की योजना इसे सभी 734 जिलों में बढ़ाकर 10500 करने की है।

यानी अभी भी 3500 केंद्र तो और खोले जाने हैं। ऐसे में रोजगार का साधन खोज रहे युवाओं के पास यह एक बेहतर विकल्प है। खास बात है कि इन केंद्रों पर अभी करीब 1450 दवाएं और 204 सर्जिकल आइटम्स मिल रहे हैं, इन्हें बढ़ाकर 2000 और 300 किया जाना है। गौरतलब है कि जन औषधि केन्द्र के लिए रिटेल ड्रग सेल्स का लाइसेंस जन औषधि केंद्र के नाम से लेना होता है। इसके लिए फार्म https://janaushadhi.gov.in/ से डाउनलोड कर सकते हैं। फार्म डाउनलोड करने के बाद आपको आवेदन ब्यूरो ऑफ फॉर्मा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग ऑफ इंडिया के जनरल मैनेजर (एएंडएफ) के नाम से भेजना होगा।

पता

Bureau of Pharma Public Sector Undertakings of India (BPPI),
8th Floor Videocon Tower,
Block E1 Jhandewalan Extension,
New Delhi –110055
Tel – 011-49431800