पटना: राजधानी में इन दिनों औषधि प्रशासन इस बात की जड़ ढूंढने में जुटा है कि सरकारी अस्पतालों की दवाएं आखिर किस रास्ते से प्राईवेट दवा दुकानों तक पहुंच रही है। विभागीय लापरवाही के कारण मरीजो को सरकार से मुफ्त मिलने वाली दवाओं की कीमत चुकानी पड़ रही है। इस बात का खुलासा खुद औषधि विभाग के अधिकारियों ने उस वक्त किया जब टीम ने बिहारी साव लेन गली में संचालित आदित्य फॉर्मा दवा एजेंसी में निरीक्षण किया। जैसे औषधि विभाग के अधिकारी पहुंचे तो आस-पास केमिस्टों में हडक़ंप मच गया।
टीम ने आदित्य फॉर्मा दवा एजेंसी से भारी मात्रा में सरकारी दवाएं बरामद की। इनमें ज्यादातर दवाएं एंटीबायोटिक मिली। एमोक्सीसिलिन कैप्सूल आइपी 500 मिलीग्राम सबसे अधिक संख्या में पाए गए। विभाग ने इन दवाओं को जब्त कर आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी है। औषधि विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर सच्चितानंद विक्रांत के नेतृत्व में यह कार्रवाई की गई। ध्यान देने वाली बात ये कि पिछले महीने औषधि विभाग की छापेमारी में आदित्य फॉर्मा के मालिक रविशंकर अवैध रूप से दवा बेचने के आरोप में गिरफ्तार किए जा चुके हैं और जेल में बंद है। हैरान करने वाली बात ये कि रविशंकर के नाम से दुकान का लाइसेंस है जबकि दुकान कोई दूसरा व्यक्ति धड़ल्ले से चला रहा है। औषधि विभाग कार्रवाई करने की तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो इस आरोप में तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।